झीलों का शहर, उदयपुर
रविवार के दिन अवकाश का पुरा लुफ्त उठाते हुऐ सभी काम आराम से कर रहे थे। इसी बीच चाय का दौर चला। चाय की चुस्की के साथ गपशप करते हुऐ अचानक घुमने का प्रोग्राम बन गया। मगर कहां चले ये तय नहीं कर पा रहे थे। हमने तुरंत ही बिटिया को फोन पर अपने विचारों से अवगत कराया। वह कुछ कहती उसके पहले बेटू ने राजस्थान चलने की फर्माइश कर डाली। हम भी सहमत हो गये। दिसंबर में राजस्थान की सैर का सबसे अच्छा समय होता है।
अगले दिन सुबह उज्जैन के लिये रवाना हुए। शाम को घर पर यात्रा के लिए विचार विमर्श करके तय किया राजस्थान चलना चाहिये। मगर राजस्थान में सभी शहर धूमने लायक है। पुनः खोज करना पड़ी और सब की सहमति झीलों की नगरी उदयपुर के लिए बनी।यह शहर बहुत सुंदर और अपनी स्थापत्यकला के लिए मशहूर है। जितना शहर सुंदर है उतना ही वहां पहुंचने का मार्ग भी। रास्ते में बोगदें (सुरंग) मिलते हैं। गूगल बाबा के अनुसार उज्जैन से उदयपुर की दूरी तकरीबन 350 किमी है। यह नागदा जंक्शन ,जावरा,नीमच निम्बाहेडा और मंगलवाडा होते करीब 8 धंटे का सफर है। मार्ग में कई दर्शनीय स्थल होने से बोरियत नहीं महसूस होती है। दिसंबर में ठंड बहुत ज्यादा थी बाहर शरीर कंपकपा ने वाली ठंडी हवा चल रही थी। ऐसे में विचार आया की चले या नहीं चले। मगर सभी के उत्साह को ध्यान में रखकर हिम्मत जुटाई और करीब 7.30 बजे चल दिये। कार के सभी कांच चढे होने पर भी ठंड लग रही थी। सफर का पहला पडाव नागदा में था। यहां लक्ष्मीनारायण जी का बिडला मंदिर देखने लायक है। बगीचे और मंदिर की व्यवस्था कुशल संचालन की वजह से बहुत सुंदर है। एक धंटे के विश्राम के बाद पुनः यात्रा शुरु करी अब अगला मुकाम मंदसौर था। यहां शिवना नदी के तट पर स्वयंभू पशुपतिनाथ जी का बहुत बडा और आकर्षक शिवलिंग है। दर्शन कर मन प्रसन्न हो गया जल्दी ही अपना सफर पुनः शुरु किया किंतु आगे अच्छा खासा जाम लगा हुआ था। एक जुलूस के कारण कई वाहन अपनी लेन छोड गलत दिशा में चलने से बडी विकट स्थिती बन गई । खैर किसी तरह बाहर निकलें। इन सब में बहुत सा समय खराब हो गया। उदयपुर जाते समय रास्ते में दो जगह टनल मिलती हैं। बडा ही खुबसुरत दृश्य था।
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बोगदें उदयपुर हाईवे पर |
उदयपुर बहुत ही रमणीय स्थान हैं। कहते हैं ये झीलों की नगरी है। यहां के प्रमुख दर्शनिय स्थलों में
झीलों का शहर, उदयपुर
1. शिल्पग्राम
2. दूध तलाई
3. देवाली सनसेट पाईंट ,करणी माता सनसेट पाईंट,मोती सागर लेक व्यूह पाईंट,
4.अंबराई धाट,लाल धाट पिछोला लेक,लाल धाट लेक,पिपली धाट,हीरा बावडी,हनुमान धाट, वेक्स म्यूझियम,अहार म्यूझियम,फिश एक्वोरियम,विटेंज कार म्यूझियम,
5 .जगदीश टेंपल,जग मंदिर,भारत माता मंदिर ,
6. प्रताप पार्क, पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क,पन्नाधाय पार्क,लेक गार्डन,बायोलाजिकल पार्क,
7. सिटी पैलेस ,सज्जनगढ़ मानसून पैलेस,मोती महल,
8. महाराणा प्रताप स्मारक,नायकों का हाल,रायल सनोताप्स,
9.फतेह सागर,रुप सागर,रेल सागर,
10. सहेलियों की बाडी
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सहेलियों की बाडी |
उदयपुर धूमने के लिये कम से कम तीन से चार दिन चाहिये। परिवार के सभी सदस्यों ने बहुत आनंद लिया। यहां रहने और खाने के लिये सभी स्तर की व्यवस्था है ।हां मगर यह जगह थोडी मंहगी अवश्य है। प्रमुख पर्यटन स्थल होने से सडक व वायू मार्ग से जुडा हुआ है। आपको एक बार अवश्य आना चाहिये।
जय श्री कृष्ण