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Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)

                   जय श्री कृष्ण

 

हम
Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)
Salasar bala ji 

 सब को खाटू श्याम जी में दर्शन लाभ न मिलने से बहुत मायूसी हो रही थी। किंतु फिर  तय किया कि समय व्यर्थ न करते हुऐ सालासर बाला जी के ही दर्शन कर लिये जाये। वैसे भी शनिवार का दिन बाला जी के दर्शनों के लिये उत्तम माना जाता है। सालासर बाला जी खाटू श्याम जी से 105 किमी की दूरी पर जयपुर - बीकानेर मार्ग पर स्थित है। 


Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)
लक्ष्मण द्वार, सालासर 

गूगल आंटी से मार्ग निर्देशन लिय कुछ किमी तक तो सिंगल और धुमावदार रोड होने से धीरे चलना पड रहा था।सीकर से हाई-वे मिलने पर गाडी की स्पीड बढ गई। लक्ष्मणगढ के पास ही सालासर धाम विकास समिती द्वारा निर्मित श्री लक्ष्मण द्वार बनाया गया है। यहां से 30 किमी की दूरी पर सालासर धाम में विराजित हैं  दाढी मूंछ धारण किये हुऐ बाला जी का भव्य स्वरूप।

श्री सालासर बाला जी की कथा -- 

श्री सालासर बाला जी की कथा कुछ ऐसी है कि सालासर  के असोटा ग्राम में  एक जाट किसान अपने खेत की  जुताई में तल्लीन था। अचानक हल सें कोई चीज टकराई , वह कुछ देर रुक कर फिर हल चलाने की कोशिश करने लगा किंतु हल तो नहीं चला अपितु वहां से आवाज आई। तब तक किसान कि पत्नि भोजन लेकर आ गई थी। उस स्थान की खुदाई करने पर वहां दो मुर्तियां मिली। पत्नि ने मुर्तियों को साडी के पल्लू से पोंछ कर साफ किया तब पता चला कि ये मुर्तियां तो बाला जी की है। किसान ने पत्नि के साथ पुजन अर्चन कर घर से लाये चूरमें का भोग लगाया। और गांव के ठाकुर साहब को इसकी सूचना दी।

Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)
हनुमान जी, सालासर 

बाला जी का पूजन कर एक मूर्ति को सालासर और दुसरी मूर्ति को यहां से 23 किमी नागौर जिले में स्थापित किया। इधर सालासर में उसी दिन हनुमान जी ने अपने परम भक्त बाल ब्रह्मचारी मोहन दास जी को स्वप्न में दर्शन देकर असोटा में प्रकट होने कि बात बताई और कहा कि मूर्ति को यहां लाकर स्थापित करो। मोहन दास जी ने स्वप्न की बात का जिक्र कर ठाकुर साहब को संदेश भेजा। ठाकुर साहब आश्चर्य चकित हो गये उन्हे भी इसी तरह का स्वप्न आया था। वे विचार करने लगे कि ये कैसे संभव है। तब उन्होने मोहन दास जी को मूर्तियों को ले जाने के लिये कहा। मोहन दास जी दो बैलगाड़ियां लेकर असोटा पहूंचे। वहां मूर्तियों  पाबोलाम‌ (जसवंतगढ़ ) के लिये रवाना किया। सुबह जसवंतगढ़ में और शाम को सालासर में एक ही दिन श्रावण शुक्ल पक्ष नवमी संवत 1811 शनिवार को दोनों स्थानों पर  स्थापित किया गया। जिस बैलगाड़ी से सालासर मूर्ति ला रहे थे। वह एक स्थान पर रुक गई ।वहीं पर आज का मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर के निर्माण में दो मुस्लिम कारीगर फतेहपुर के नूर मोहम्मद और दाऊ का विशेष योगदान रहा है।

सालासर बाला जी मंदिर की व्यवस्था --

 मंदिर कि देखरेख मोहन दास जी ट्रस्ट द्वारा उनके भांजों के वंशज करते आ रहे हैं। 

मंदिर में आज भी दो बैलगाड़ियां खडी रहती है।

    मनोकामना पुर्ती के लिये --यहां कि विशेषता भक्त और भगवान के मध्य कोई नहीं। सीधे बाला जी से निवेदन के लिये एक नारियल लेकर अपनी मनोंकामना मन में दोहराइये और वहीं पर बांध दिजीये। मनोकामना पूर्ण होने पर नारियल अपने आप गिर जाता है। जिसे बाद में मंदिर के सेवादार एक तय जमीन में विसर्जित कर देते है। 


Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)
श्री बालाजी धाम, सालासर 

अखंड धूना --

यहां पर मोहन दास जी द्वारा प्रज्वलित धुना आज भी जाग्रत है। भक्त लोग इसकी राख धारण करते है। पास ही वृक्ष पर सैकडों पक्षियों का डेरा है।, मंदिर में पिछले 8 सालों से निरंतर रामायण पाठ और 20 वर्षो से हरि कीर्तन राम धुन जारी है।

श्री मोहन दास मंदिर -- 

यहां पर संत मोहन दास जी और कनिदादी के पैरों के निशान और समाधि स्थल की। पुजा होती है व  आगंतुक यहां श्रद्धा से नमन करते है                                                     

  सालासर के आस पास अन्य दर्शनिय स्थल                     

1.   अंजनी माता मंदिर

2.    जमवाय माता मंदिर

3.    चांदपोल मंदिर

4.     त्रि पति बालाजी 

5.      हरीराम बाबा मंदिर

6.      शयनन माता मंदिर 

    

 करीब 1100 वर्ष पुराना यह मंदिर सालासर से 15 किमी दूर रेगिस्तान में पहाडीं पर स्थित है। 

पर्यटन स्थल --

सालासर में एक टैंक भी रखा हुआ है। पर्यटक यहां फोटोग्राफी का आनंद लेते है। हमने भी इसका   आनंद लिया और टैंक को करीब से देखा।

    

Salasar bala ji dham ( सालासर बाला जी)
श्री बालाजी धाम, सालासर 


उत्सव व मेले --

हनुमान जयंती , चैत्र शुक्ल व अश्विन शुक्ल पूर्णिमा को भव्य मेले का आयोजन होता है। बहुत दूर दूर से श्रद्धालू दर्शन को आते है।

यहां ठहरने के लिये धर्मशालाऐं व होटलें हैं। तथा खाने के लिये भोजनालय की उत्तम व्यवस्था है। समय समय पर भंडारों का भी आयोजन होता रहता है

कैसे पहूंचे --

जयपुर -बीकानेर राजमार्ग पर स्थित है। 

सीकर -57

सुजानगढ-24

लक्ष्मणगढ-30

पिलानी-140

जयपुर से सालासर बाला जी की दूरी -171 किमी है।

बीकानेर-178 किमी 

निकटतम हवाईअड्डा -

जयपुर और बीकानेर

सालासर के निकटतम रेल्वे स्टेश  सुजानगढ ,जयपुर ,सीकर ,डीडवाना और रतनगढ 

    शाम के पांच बजे हम लोगों ने वापसी का सफर शुरु किया।लग रहा था रास्ते में कहीं रुकना पड़ेगा। 

चलिये फिर मिलते है। एक नये सफर में तब तक के लिये अलविदा और हां आपका कोई सुझाव हो तो अवश्य दें

                                                                जय श्री कृष्ण      




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