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अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा

 अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा 

अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा
बलवारी हनुमान मंदिर 

पद यात्रा

बलवारी ग्राम के आस पास क्षेत्रों में मान्यता है। कि हनुमान जी की कृपा पुरे वर्ष उन पर बनी रहे। इसलिये  नव वर्ष के पहले हफ्ते में तय दिन पद यात्रा कर झंडा चढ़ाते है। इसी कडी में मनावर से वर्ष के पहले सोमवार को यह यात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा का आयोजन नगर के प्रतिष्ठित गणमान्य लौग करते है। सैकडों की संख्या में नगरवासी इसमें शामिल होते हैं। 
एक वर्ष मुझे भी इस यात्रा का हिस्सा बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हम सभी लोग सुबह धार रोड स्थित हनुमान जी के मंदिर पहुंचे। यहां पर सभी ने सामुहिक रुप से हनुमान चालिसा का पाठ किया । इसके पश्चात विधिवत यात्रा की शुरूआत हुई ।  22 किमी की इस पद यात्रा में बडी संख्या में श्रद्धालू सम्मिलित हुऐ थे। जय सीया राम के जयकारों से पुरा मार्ग गूंजायमान हो रहा था। रास्ते में भक्त लोग पदयात्रियों के लिये चाय पानी व नाश्ते की व्यवस्था कर रहे थे। एक जगह हम अपने  सहयात्रियों के साथ चाय व पानी के लिये रुके। यहां से फिर तरो ताजा हो आगे चल दिये। पैदल चलने के कारण ठंड में भी गर्मी का अहसास होने लगा था। लिहाजा स्वेटर उतारना पडा। कुछ देर तक तो स्वेटर लेकर चलें किंतु थकान होने पर ये बोझ लगने लगा। तब साथ चल रहे परिचीत के वाहन में रख थोडा सकून महसुस किया। करीब आधे मार्ग तय करने पर एक जगह थोडे विश्राम और चाय नाश्ते की व्यवस्था की गई थी। यहां पहूंचने पर जैसे ही थोडा सुस्ताने के लिये रुके बडा सकून महसुस किया साथ ही समझ आ रहा था। आगे का मार्ग आसान नहीं है। खैर अब प्रण किया है तो निभाना पड़ेगा ही। संगी साथियों से बलवारी हनुमान जी के बारे में और जानने के लिये चर्चा की।

अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा

इतिहास 

मंदिर के पुजारी जी के अनुसार उनके पूर्वजों के समय से  इस मंदिर की पुजा अर्चना करते आ रहे है। कहते है सन 1100 के पुर्व से ही यह मुर्ति यहां स्वयंम प्रकट हुई थी। करीब साडे बारह फीट की मुर्ति बिना किसी सहारे के खडी हुई है। उस समय धना जंगल था। हर समय जंगली जानवरों का भय बना रहता था। किंतु हनुमान जी की कृपा से यह स्थान पावन हो गया था। यहां निर्भय होकर भक्त सतत पुजा अर्चना निरंतर करते आ रहे है। कई वर्षो तक तो मंदिर खुले में ही था।  इंदौर के व्यवसायी को हनुमान जी की प्रेरणा से मंदिर की छत डालने का अवसर प्राप्त हुआ।समय समय पर निर्माण होता गया। 

हमारी पद यात्रा भी चल रही थी। गंधवानी ग्राम तक आने पर थकान महसूस होने लगी थी। किसी तरह यात्रा जारी रखी। हनुमान जी की कृपा से हम मंदिर पहूंच गये। सभी ने मिलकर आरती करी। आरती पश्चात भंडारे का आयोजन था। वहां सभी ने मिलकर प्रसादी ग्रहण करी।
 हनुमान जयंती पर व समय समय पर कई बडे आयोजन होते रहते है। 


अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा



    बलवारी हनुमान जी की कृपा से भक्तों को कई अदभुत सुखद अनुभव प्राप्त हुऐ है। बहुत दुर दुर सें भक्त आते है।     
पहूंच मार्ग :-
सडक मार्ग 

इंदौर से धामनोद मनावर होते हुऐ गंधवानी ग्राम से 160  किमी

यदि आप इंदौर अहमदाबाद मार्ग से आते हैं। तो मांगोद जीराबाद होते हुऐ 130 किमी का सफर है।
रेल मार्ग व वायु मार्ग केवल इंदौर तक ही उपलब्ध है।
 भोजन व ठहरने के लिये गंधवानी और मनावर में ही सुविधा है।                          

                                                                 

                                                                           ।।  जय श्री राम ।।
           

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