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मुरादपुरा हनुमान जी,शाजापुर


दिव्य बाल हनुमान जी
मुरादपुरा हनुमान मंदिर, शाजापुर 

मुरादपुरा हनुमान मंदिर में कई बार जाने का अवसर मिला। जब भी दिव्य प्रतिमा के दर्शन करता, अपने में एक सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को महसुस करता। एक बार मन में मंदिर के बारे में जानने कि इच्छा जाग्रत हुई। इसी इच्छा को लेकर मंदिर से जुडे कुछ वृद्ध सज्जनों से मुलाकात की। 

कथा ः-

एक प्रचलित कथानुसार सैकडों वर्षो पुर्व जहां आज मंदिर है।वहां पर खेत हुआ करता था।धने जंगल के मध्य से नदी पार करके खेत में जाने का रास्ता था। इस मार्ग पर एक पुराने वृक्ष को किसान काटना चाहता था। एक दिन जब वह वृक्ष को काट रहा था। उसी समय ऐसा न करने का चेतावनी भरा स्वर गूंजा। किंतु किसी के न दिखाई देने पर वहम समझ ध्यान नहीं दिया और वृक्ष को काट दिया। अगले दिन उसकी मृत्यु हो गई।
इस धटना से ग्रामीण भयभीत हो वहां जाने से डरने लगे। कुछ समय बाद हनुमान भक्त बेजु बा रजक वहां से गुजरे तो उन्हें दिव्य अनुभूति का अहसास हुआ। वह नित्य वहां जाते और हनुमान जी का स्मरण करते थे।एक दिन उन्हे स्वप्न में हनुमान जी ने दर्शन देकर उस स्थान पर प्रतिमा होना बताया। अगले दिन सभी की सहमति से खुदाई करने पर हनुमान जी की बाल रूप खडी मुर्ति मिली। उन्होने पुरे विधी विधान से मुर्ति स्थापित कर नित्य पुजा अर्चना करने लगा।


मुरादपुरा हनुमान मंदिर
मुरादपुरा बाल हनुमान मंदिर, शाजापुर 

कुंडी  :-

मंदिर के पास ही वह कुंडी भी है। जहां से मुर्ति प्रगट हुई थी।
 
धीरे धीरे ग्रामीण भी मंदिर से जुडने लगे। कई भक्त अपनी मनोकामना लेकर हनुमान जी की शरण में आते है और पुर्ण होने पर अपनी श्रद्धानुसार चोला, प्रसाद अथवा भंडारा करवाते है। 

 प्रभू कृपा :-

एक ऐसे ही भक्त की आप बीती बताते है। बहुत पुरानी बात है। जावरा के प्रतिष्ठित व्यापारी का कारोबार बहुत अच्छा चल रहा था। ना जाने किस की नजर लग गई। उनसे उस समय के ईनामी डकैत ने बहुत बडी रकम की मांग रख दी और न देने पर परिवार सहित खत्म कर देने की धमकी। अब व्यापारी बडी मुसीबत में पड  गये। अचानक बहुत बडी रकम की व्यवस्था कर पाना संभव नहीं था। उस पर जीवन बचाने की चिंता। इस फिक्र में वे परिवार सहित अज्ञात स्थान पर चले गये। एक दिन भयग्रस्त व्यापारी मुरादपुरा हनुमान जी के मंदिर में अपनी याचना लेकर गये और प्रभू चरणों में  व्यथा रखी।

हे प्रभू प्राण संकट में है। रक्षा करो अब तो तुम ही तारणहार हो।  
अपनी विनती लगा इंदौर चले गये। डकैत के डर से बार बार स्थान बदलने की भी मजबुरी थी। एक दिन वे किसी काम से बाहर जाने के लिये इंदौर बस स्टैंड गये थे। तभी उनकी नजर अखबार में प्रकाशित एक खबर पर पड़ी। वे खुशी से झुम उठे और हनुमान चालीसा की पंक्तियां गुनगुनाने लगे। 
तुम रक्षक काहू को डरना। ईनामी डकैत पुलिस मुठभेड में मारा गया था। इसी तरह के अनगिनत किस्से हैं।   

   मंदिर परिसर में नवग्रहों के मंदिर और एक छोटा सा शिवालय भी है।

मंदिर के पिछले भाग में एक छोटा सा बगीचा है। जहां बच्चों के मनोरंजन के लिये झुले लगे हुऐ है।

मुरादपुरा हनुमान मंदिर बगीचा


पास ही धर्मशाला बनी हुई है। कोरोना काल में मंदिर बंद कर दिया है। बाहर से ही दर्शन कर सकते है। सावधानी व सुरक्षा के मध्ये नजर रखते हुऐ विशेष प्रकार की घंटी लगी हुई है।जब आप घंटी के सामने जाते हैं।तो बजती है


मुरादपुरा हनुमान मंदिर बगीचे के झूले



 नेशनल हाईवे आगरा बाम्बे मार्ग पर इंदौर से आगरा जाते समय शाजापुर शहर के पास ही यह मंदिर स्थित है।

               "जय श्री राम"


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