सारंगपुर मंदिर
हनुमान मंदिर सारंगपुर के बारे में बहुत सुना था। अतः उत्सुकता तो बढ़नी ही थी। 11 बजे सारंगपुर पहुंचे। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत बडा व सुंदर था। गाडी पार्किंग की व्यवस्था एक खुले मैदान में थी।
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| कष्टभंजन हनुमान मंदिर प्रवेशद्वार |
| पार्किंग से लगे सुंदर बगीचे के दोनो और धर्मशाला के कमरे बने हुऐ थे।यहां पर हर श्रेणी की व्यवस्था थी। बगीचे को पार करने के बाद नीलकंठ महादेव का अत्यंत मनोहारी मंदिर बना हुआ है। थोडा आगे जाने पर मंदिर परिसर का किलेनुमा प्रवेश द्वार आता है। हम आगे की चर्चा से पहले यहां की पौराणिक कथा पर गौर कर लेते है। पौराणिक कथा |
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| कष्टभंजन हनुमान मंदिर |
| पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शनिदेव अपने बल के अभिमान में सारी सीमाएं लांघकर हर तरफ त्राहि त्राहि मचा दी। तब भक्त हनुमान जी की शरण में गये। यह बात जब शनिदेव को पता चली तो वे घबराये और अपने बचाव का मार्ग तलाशने लगे। शनिदेव जानते थे। कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है और वे स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठायेंगे। तब शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान जी की शरण गये और अपनी गलती की क्षमा याचना की इस तरह सभी भक्तों के कष्ट दूर हुऐ। तभी से कष्टभंजन नाम से प्रसिद्ध हुऐ। |
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| मंदिर बगीचा ,सारंगपुर |
कहते है स्वामीनारायण जी हनुमान जी के बडे भक्त थे। उन्हे हनुमान जी ने साक्षात दर्शन दिये थे। स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने 1905 विक्रम संवत की अश्विन कृष्ण पक्ष की पंचमी को मंदिर नींव रखी थी। मुर्ति की स्थापना के समय जब मुर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी तब उन्होने एक राड को स्पर्श करने पर मुर्ति जाग्रत हो गई थी मंदिर में हनुमान जी के चारों ओर वानर सेना तथा चरणों में शनिदेव स्त्री रूप में विराजित है। स्वयंम हनुमान जी महाराजा रूप में 45 किलो सोना 95 किलो चांदी जडित सिंहासन पर विराजित है। हीरे जवाहरात जड़ित मुकुट और सोने की गदा है। शनिवार मंगल वार विशेष पुजा अर्चना होती है। मंदिर की आरती इस प्रकार है। मंगला आरती 5.15 सुबह बाल भोग 6.30 -7.30 श्रंगार आरती 7.00 शनिवार ,मंगलवार राज भोग 10.30-11.30 विश्राम 12- 15.00 शयन 21.00 बजे वेब साईट : www.salangpurhanumanji@yahoo.co.in मंदिर की अपनी भोजनशाला है । जहां भंडारा चलता है। प्रसादी का काउंटर अलग बना है। प्रसाद रूप में सुखडी मिलती है। मंदिर की अपनी व्यवस्थित गौ शाला भी है। |
श्री हरि मंदिर
पास में हवेलीनुमा मंदिर है। जहां पर लकड़ियों की आकर्षक शिल्प कला से मंदिर की भव्यता और बढ जाती है। यहां स्वामीनारायण जी का निवास था। जो अब मंदिर रूप में है। स्वामी जी के द्वारा उपयोग में लाई बैलगाड़ी व अन्य सामान संजो के रख रखा है। यह मंदिर देखने योग्य है। . नारायण कुंडश्री स्वामीनारायण मंदिरब्रह्मस्वरूप प्रमुख स्वामी स्मृति मंदिरनजदीकी रेल्वे स्टेशन बाटोड व सडक मार्ग से राजकोट से 150 किमी भावनगर से 90 किमी अहमदाबाद से 170किमी दूरी पर है। कल Swaminarayan Mandir स्वामीनारायण मंदिर वडताल के दर्शन करेगे । " शुभ रात्री " |



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