header

हनुमान मंदिर सारंगपुर


ऊना से सुबह जल्दी निकल पड़े थे। 190 किमी का सफर तय करके हमें हनुमान मंदिर सारंगपुर पहुंचना था। जो कि लगभग चार से पांच धंटे का सफर था।  

एक घंटे की लगातार ड्राईव के बाद सुस्ती सी आने लगी थी। रास्ते में रेस्टोरेंट पर चाय नाश्ते के लिये रूके। यहां पर हमने रास्ते के बारे में भी सुनिश्चित कर लिया।

सारंगपुर मंदिर   

हनुमान मंदिर सारंगपुर के बारे में बहुत सुना था। अतः उत्सुकता तो बढ़नी ही थी। 11 बजे सारंगपुर पहुंचे। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत बडा व सुंदर था। गाडी पार्किंग की व्यवस्था एक खुले मैदान में थी। 



कष्टभंजन हनुमान मंदिर प्रवेशद्वार
कष्टभंजन हनुमान मंदिर प्रवेशद्वार
    
पार्किंग से लगे सुंदर बगीचे के दोनो और धर्मशाला के कमरे बने हुऐ थे।यहां पर हर श्रेणी की व्यवस्था थी। बगीचे को  पार करने के बाद नीलकंठ महादेव का अत्यंत मनोहारी मंदिर बना हुआ है। थोडा आगे जाने पर  मंदिर परिसर का किलेनुमा प्रवेश द्वार आता है।

हम आगे की चर्चा से पहले यहां की पौराणिक कथा पर गौर कर लेते है। 

पौराणिक कथा   

कष्टभंजन हनुमान मंदिर
कष्टभंजन हनुमान मंदिर

 
 पौराणिक कथा के अनुसार एक बार शनिदेव अपने बल के अभिमान में सारी सीमाएं लांघकर हर तरफ त्राहि त्राहि मचा दी। तब भक्त हनुमान जी की शरण में गये। यह बात जब शनिदेव को पता चली तो वे घबराये और अपने बचाव का मार्ग तलाशने लगे। शनिदेव जानते थे। कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है और वे स्त्री पर कभी हाथ नहीं उठायेंगे। तब शनिदेव स्त्री रूप में हनुमान जी की शरण गये और अपनी गलती की क्षमा याचना की इस तरह सभी भक्तों के कष्ट दूर हुऐ। तभी से कष्टभंजन नाम से प्रसिद्ध हुऐ। 


मंदिर बगीचा ,सारंगपुर
मंदिर बगीचा ,सारंगपुर

यदि कोई शनि बाधा से पीड़ित हो तो इनकी शरण में जाने पर निर्भय हो जाता है। इसी तरह भूत प्रेत पीडितों का भी यहां पर उपचार किया जाता है।   


कहते है स्वामीनारायण जी हनुमान जी के बडे भक्त थे। उन्हे हनुमान जी ने साक्षात दर्शन दिये थे। स्वामी गोपालानंद जी महाराज ने 1905 विक्रम संवत की अश्विन कृष्ण पक्ष की पंचमी को मंदिर नींव रखी थी। मुर्ति की स्थापना के समय जब मुर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी तब उन्होने एक राड को स्पर्श करने  पर मुर्ति जाग्रत हो गई थी              
मंदिर में हनुमान जी के चारों ओर वानर सेना तथा चरणों में शनिदेव स्त्री रूप में विराजित है। स्वयंम हनुमान जी महाराजा रूप में 45 किलो सोना 95 किलो चांदी जडित सिंहासन पर विराजित है। हीरे जवाहरात जड़ित मुकुट और सोने की गदा है। 

 शनिवार मंगल वार विशेष पुजा अर्चना होती है। मंदिर की आरती इस प्रकार है।
मंगला आरती   5.15 सुबह
बाल भोग        6.30 -7.30
श्रंगार आरती    7.00    शनिवार ,मंगलवार
राज भोग         10.30-11.30
विश्राम            12- 15.00
शयन              21.00 बजे

वेब साईट : 
www.salangpurhanumanji@yahoo.co.in


मंदिर की अपनी भोजनशाला है । जहां भंडारा चलता है। प्रसादी का काउंटर अलग बना है। प्रसाद रूप में सुखडी मिलती है।

मंदिर की अपनी व्यवस्थित गौ शाला भी है।
                        
                                         

श्री हरि मंदिर 



श्री हरी मंदिर

                                                

 पास में हवेलीनुमा मंदिर है। जहां पर लकड़ियों की आकर्षक शिल्प कला से मंदिर की भव्यता और बढ जाती है। यहां स्वामीनारायण जी का निवास था। जो अब मंदिर रूप में है। स्वामी जी के द्वारा उपयोग में लाई बैलगाड़ी व अन्य सामान संजो के रख रखा है।  यह मंदिर देखने योग्य है।                                                                                                                    .                             

 नारायण कुंड  

श्री स्वामीनारायण मंदिर

ब्रह्मस्वरूप प्रमुख स्वामी स्मृति मंदिर          

नजदीकी रेल्वे स्टेशन बाटोड व सडक मार्ग से 

राजकोट से 150 किमी 

भावनगर से  90 किमी 

अहमदाबाद से 170किमी दूरी पर है।     कल Swaminarayan Mandir  स्वामीनारायण मंदिर वडताल के दर्शन करेगे ।                                         

                                                            "   शुभ रात्री  "


                                          






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

welcom for your coments and sugest me for improvement.
pl. do not enter any spam Link in the comment box.

Popular post