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सिद्ध तपोभूमि वागनाथ


सिद्ध तपोभूमि वागनाथ 




सिद्ध तपोभूमि वागनाथ
सिद्ध तपोभूमि वागनाथ 


नर्मदा नदी का किनारा प्राकृतिक रुप से बहुत सम्पन्न है। हर तरफ हरियाली अथाह जल राशि और एकांत। ऐसे में इसके किनारे पर बहुत सारे आराध्य स्थल,तपोभूमि, मंदिर व आश्रम हैं। जहां पर साधू, संत,दिव्य विभूतियां और सिद्ध महात्मा सदैव अपनी साधना में लीन रहते है।  वे ईश्वर अराधना के लिये  पुजा,जप,तप,और विशेष अनुष्ठान कर यज्ञ करते हैं। इन स्थलों की जानकारी आम जनता को यज्ञ की पुर्णाहुती अथवा भंडारों पर ही लग पाती हैं। कई स्थल तो आज भी जानकारी के अभाव में अछुते है। या कहें कि उनकी जानकारी स्थानीय स्तर तक ही सिमीत रह जाती है।   वागनाथ एक रमणीय ,शांत और प्राकृतिक दृश्यों से ओत प्रोत स्थल है। यहां पर अति प्राचीन दो शिव लिंग स्थित है। एक तट से उपर वागनाथ महादेव जिसके बारे में पुरातत्व विभाग का कहना है। यह भूमि में करीब 11 फिट अंदर तक है। तथा दुसरा नर्मदा के किनारे जागनाथ महादेव। कहते है दोनों स्थानों के दर्शन करने पर ही प्रतिफल मिलता है।

सिद्ध तपोभूमि वागनाथ
जागनाथ महादेव मंदिर 


वागनाथ महादेव जी

यह स्थान धार जिले के मनावर तहसील अंतर्गत एकलबारा ग्राम के निकट पहाड़ी पर स्थित है। नर्मदा नदी के किनारे होने से एक तरफ जल व दुसरी तरफ पहूंच मार्ग है। किंतु वर्षा काल और उसके बाद भी जब नर्मदा में जल स्तर बढ जाता है। तो चारों ओर पानी से धिरा होने के कारण आने जाने के लिये नौका ही एक मात्र सहारा होता है। यहां पर एक विशाल वृक्ष के समीप हनुमान मंदिर है। पास ही में वागनाथ महादेव और किनारे पर जागनाथ महादेव का मंदिर है। शाम को यहां से नर्मदा नदी का बहुत ही मनोरम दृश्य दिखाई देता है। शोरगुल से दूर एकदम शांत यह छोटी सी जगह मन को असीम शांति देती है। यही कारण है कि  ये संतो की प्रिय स्थली है। 

सिद्ध तपोभूमि वागनाथ
वागनाथ महादेव मंदिर 

इतिहास  

यहां के इतिहास का कोई भी प्रमाणिक साक्ष्य तो उपलब्ध नहीं है। लेकिन वृद्धजनों ने बताया कि नर्मदा पुराण में कही इसके बारे में उल्लेख है। पुरातन काल में यहां पर राजा ब्रह्मदत्त ने 99 यज्ञ करवाये थे। तभी से इसे सिद्ध स्थान के रुप में देखा जाता है। आज भी संत, महात्मा योगी समय समय पर आते हैं। और अपनी साधना पूर्ण कर गंतव्य की ओर प्रस्थान कर देते है। स्थाई निवास किसी ने भी नहीं बनाया। 

संत कि साधना स्थली 

सन 2020 में भारी बारिश के चलते नर्मदा अपने रौद्र रुप में थी। जहां तक नजर जाती अथाह पानी हिलोरे लेता नजर आता था। ऐसे में जल स्तर बढने के कारण बचाव दल दिन रात निगरानी पर था।  वागनाथ महादेव स्थल भी चारों ओर से पानी से धिर गया था। सुरक्षा के चलते किनारों की बिजली अवरूद्ध कर दी गई थी। रात को अंधेरे में जलधारा की तीव्र ध्वनि भय उत्पन्न कर रही थी। ऐसे में वहां पर एक संत अपनी साधना में लीन थे। बढते जल स्तर के चलते बचाव दल ने बाबा से अनुरोध किया आप सुरक्षित स्थल पर आ जाये। किंतु बाबा जी ने कहा यहां कुछ भी अनहोनी नहीं होगी आप निश्चिंत रहें।  वे निर्भय होकर अपनी साधना में लगे रहे। बाद में स्थानीय लोगों के कहने पर पास ही ग्राम में वर्षाकाल व्यतित किया। 
जब जल स्तर कम हुआ तो मन में अभिलाषा हुई क्यों न एक बार इस स्थान पर चला जाय। हम अपने साथीयों के साथ वागनाथ दर्शन करने गये। उस समय संत महात्मा यज्ञ कर रहे थे। दूर से ही मंत्रों की लयबद्ध ध्वनि और आहुति डलने से उत्पन्न अग्निदेव की तीव्रता वायुमंडल में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कर रही थी। हम धन्य हो गये उस पल के साक्षी होकर।  
       

सिद्ध तपोभूमि वागनाथ
विशाल और प्राचीन वृक्ष


आज भी नर्मदा नदी के किनारे कई ऐसे दिव्य स्थल हैं। जो बहुत कम लोगों को ही मालूम है। यहां कई बार दिव्य ऋषि मुनि तप साधना के लिये आते है। और अपनी साधना पूर्ण कर चल देते है। हमारा तो प्रयास है कि इन स्थानों की आम जनता तक पहचान हो। कई अद्भुत और सिद्ध स्थान इस क्षेत्र में कुछ किमी की दूरी पर है। उनमें से हनुमान जी का बहुत पुराना मंदिर है। यहां पर हनुमान जी की बहुत पुरानी दिव्य और चमत्कारी मूर्ति है। स्थानीय निवासी प्रति वर्ष पद यात्रा कर मंदिर में ध्वज चढ़ाते हैं। चलिये हम आपको भी इस यात्रा पर ले चलते है। अति प्राचीन बलवारी हनुमान मंदिर तक पद यात्रा।

जय श्री कृष्ण 



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