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पहलगाम: शांतिपूर्ण और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का प्रवेश द्वार


                      पहलगाम: शांतिपूर्ण और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का प्रवेश द्वार


शांत और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का प्रवेशद्वार पहलगाम
पहलगाम 
            
 यात्रा का छठा दिन शाम के 5 बज रहे थे। हमारा अगला पड़ाव पहलगाम था, जो शांतिपूर्ण  और सुंदर प्राकृतिक दृश्यों का प्रवेश द्वार है। यह गुलमर्ग से लगभग 145  किलोमीटर दूर यानी लगभग 4/5 घंटे का सफ़र तय करना था। इसलिए बिना समय बर्बाद किए हम पहलगाम की ओर चल पड़े। कश्मीर की शाम भी बेहद सुहावनी होती है। रास्ते के खूबसूरत नज़ारों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। इसी बीच, बातचीत में  हमने अपने ड्राइवर साहब से पहलगाम के बारे में जानना चाहा। उसके कुछ अंश यहां आपके  साथ साझा कर रहे हैं  
कश्मीरी भाषा में पहलगाम (पुहे-अल) का अर्थ है चरवाहों का गांव और कुछ अन्य लोक मान्यताओं के अनुसार, बैलगाम, जो इस स्थान पर नंदी की उपस्थिति का संकेत देता है। यहीं से पवित्र अमरनाथ गुफा तक जाने का रास्ता है। यह अनंतनाग ज़िले की मुख्य तहसील होने के अलावा, ज़िला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर, झेलम नदी की एक सहायक नदी, लंबोदरी जिसे वर्तमान में लिद्दर के नाम से जाना जाता है, के तट पर स्थित है। 


पहलगाम में ऊंचे-ऊंचे पेड़ों के जंगल, झीलें, घास और फूलों के बड़े-बड़े मैदान हैं, यह चारों ओर से पहाड़ों से घिरा और नदी के किनारे बसा है, यहां का नजारा ऐसा लगता हैं मानो किसी कलाकार द्वारा बनाई गई खूबसूरत पेंटिंग हो।
रास्ते में हम पंपोर में रुके थे। यह जगह कश्मीरी कहवा, अखरोट, बादाम और कई सूखे मेवों के लिए प्रसिद्ध है। पंपोर में हमने कहवा नामक पेय पीया था। बहुत ही स्वादिष्ट पेय लगा। 


शांत और खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का प्रवेशद्वार पहलगाम
कहवा 


रात करीब 9 बजे हम लोग पहलगाम पहुँचे। तेज़ बारिश और ठंडी हवाओं के कारण मौसम बहुत खराब हो गया था। ठंड ने सबकी हालत खराब कर दी। किसी तरह होटल पहुँचे। कमरे में आकर कंबल ओढ़ा और एक कप चाय पीने के बाद हमें थोड़ी राहत मिली।


                           

            अगले दिन सुबह करीब 8:30 बजे हमारी टेक्सी होटल आ गई थी। यहां दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए स्थानीय टैक्सी लेनी पड़ती है। हमारे गाइड के अनुसार आज तीन बेहद खूबसूरत पर्यटन स्थलों पर जाने का कार्यक्रम तय हुआ।

A. अरु घाटी

B. बेताब घाटी 

C. चंदनवाड़ी

अरु घाटी अनंतनाग ज़िले का पर्यटन की दृष्टि से सबसे सुंदर और महत्वपूर्ण गांव है। यह पहलगाम से 12 किलोमीटर की दूरी पर लिद्दर नदी की सहायक नदी अरु के तट पर स्थित है। इस घाटी की ओर जाने वाली सड़क के दोनों ओर हरियाली और मनोरम दृश्यों ने हमें सम्मोहित सा कर दिया था। उस पर हल्की बारिश से प्रकृति  और जीवंत हो उठी थी। हम इन नज़ारों में खोए हुए थे और गाड़ी अपनी गति से चल रही थी। तभी गाइड की आवाज़ ने हमारी तंद्रा तोड़ी। वह एक जगह रुका और बोला कि यहीं चाय-नाश्ता कर लो, आगे कुछ नहीं मिलेगा।

यह घाटी लंबे हरे-भरे घास के मैदानों, देवदार, चीड़ और ओक के पेड़ों से ढके जंगलों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ घुड़सवारी और ट्रैकिंग का आनंद लिया जा सकता है। कोलाहोई ग्लेशियर, तरसर-मरसर झीलों और कटरीनाग घाटी के लिए ट्रेकर्स का यह बेस कैंप है। अगर आपके पास समय की कमी है, तो आप एक दिन में ग्रीन टॉप या बेस टॉप तक ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। यहां हमने घुड़सवारी, प्राकृतिक दृश्यों और फोटोग्राफी का भरपूर आनंद लिया। ये पल हमारे लिए यादगार बन गये। अब हम अपने अगले पर्यटन स्थल बेताब घाटी की ओर चल पड़े। रास्ते में भारी बारिश के कारण, हमारे ड्राइवर ने चंदनवाड़ी जाने का सुझाव दिया। और गाड़ी चंदनवाड़ी की ओर मोड़ दी। सड़क के दोनों ओर ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की कतारें और पहाड़ों की सफ़ेद चोटियाँ यात्रा को बेहद रोमांचक बना रही थीं। रास्ते में हमें अमरनाथ यात्रा का बेस कैंप मिला। जहाँ से आगे पवित्र गुफा की यात्रा के लिए अनुमति और ज़रूरी दस्तावेज़ों की जाँच होती है। 

यात्रा सुखद थी, लेकिन बारिश के कारण ऐसा लग रहा था कि हमें गाड़ी में ही बैठे रहना होगा। हम प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेते हुए जा रहे थे। तभी ड्राइवर को मोबाइल पर खबर मिली कि चंदनवाड़ी में इस मौसम की पहली बर्फबारी हो रही है। इस खबर ने हमें एक नई ऊर्जा से भर दिया। हम सब जल्द से जल्द चंदनवाड़ी पहुंचना चाहते थे।  गाड़ी की गति भी अब बढ़ा दी थी। चंदनवाड़ी पहुंचते ही गाड़ी के विंडशील्ड पर रुई जैसे बर्फ की हल्के फुहारें गिरने लगी। यह देखकर हम सबका रोमांच बढ गया था। और जल्द से जल्द बर्फबारी का आनंद लेने के लिए सभी उत्साहित हो उठे।

 गाड़ी पार्क करते ही स्थानीय लोगों ने हमें घेर लिया। ये लोग बर्फ में चलने के लिए जूते और छाते किराए पर देते हैं। हमने भी सबके लिए ये चीज़ें ली और बर्फबारी का आनंद लेने के लिए मैदान की ओर चल पड़े। बर्फबारी ऐसी लग रही थी मानो आसमान से रूई के फाहे गिर रहे हों। बीच-बीच में छाता हटाने पर बर्फ़  बहुत लुभावनी लग रही थी। बर्फ का यह स्पर्श हमें अंदर तक गुदगुदा रहा था। सभी ने यहां खूब आनंद लिया। ऐसा लग रहा था मानो हमारी कश्मीर यात्रा पूरी तरह से सार्थक हो गई हो।


चंदनवाड़ी 


तेज़ हवाओं और बर्फबारी के कारण मौसम तेज़ी से बदल गया था। बढ़ती ठंड ने सभी को बुरी तरह ठिठुरने पर मजबूर कर दिया था। इसलिए, हवा से बचने के लिए हमें किसी सुरक्षित जगह पर जाना पड़ा। पास के एक होटल में पहुंचने पर हमें थोड़ी राहत महसूस हुई। समय बिताने के लिए हमने चाय और नाश्ता ऑर्डर  किया और होटल की खिड़की से बाहर बर्फबारी का आनंद लेने लगे। लगभग एक घंटा बिताने के बाद हम अपने अगले पड़ाव बेताब घाटी की ओर चल पड़े। ज़्यादातर जगहों पर बर्फबारी हो रही थी। बर्फ की सफ़ेद चादर ने पूरी घाटी को ढक लिया था। ऐसा लग रहा था मानो घाटी ने अपना रूप ही बदल लिया हो। पर्यटक रास्ते में कई जगहों पर रुककर इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले रहे थे। ऐसे में कई जगहें अनाधिकृत सेल्फी पॉइंट में बदल गई थीं। इससे ट्रैफिक जाम भी होने लगा था।

खैर, हम अपने अगले पड़ाव बेताब घाटी की ओर चल पड़े। घुमावदार और पहाड़ी रास्ते बेहद मनमोहक लग रहे थे। अब धीरे-धीरे बर्फबारी की जगह बारिश ने ले ली थी। तेज बारिश होने से पुरी वैली में हर तरफ पानी ही पानी भर गया था। किसी तरह हम बेताब वैली के मुख्य प्रवेशद्वार तक पहुंचे। हल्की-हल्की बारिश अभी भी जारी थी। ऐसे में हम सोच में पड़ गए कि वैली में अंदर जाये या वापस चल दे। तभी कुछ और पर्यटक भी आ गये थे। उनको देख हमने भी तय किया कि अब तो वैली घुम कर ही जायेंगे । टिकट खिड़की से सभी के टिकट लेकर वैली में प्रवेश किया। प्रवेशद्वार पर विशेष प्रकार की ट्रालीयां लेकर स्थानीय लोग खड़े थे। उनसे बातचीत कर सबके लिए ट्राली ली। यह हमारे  लिए एक नया अनुभव था।  वे लोग हम सब की ट्राली इस तरह चला रहे थे मानो एक ट्रेन हो। यहां कई देखने योग्य स्थान है। उनमें से ट्री हाउस सभी को बहुत पसंद आया। साथ ही जहां पर बेताब फिल्म का गाना रिकॉर्ड हुआ था। वह स्थान भी देखा। वैली में अधिकांश जगह पानी भरा होने के बावजूद सभी ने बहुत मजे किए। करीब दो घंटे के इस सफर में कई जगह फोटो शूट किए। सबसे खास जगह लगी लिद्दर नदी के किनारे बने हुए सेल्फी पाईंट पर यहां फोटोग्राफी का अपना ही मज़ा है। मौज मस्ती में समय का पता ही नहीं चला। खाने का समय भी हो गया । वापस पहलगाम पहुंच कर एक शुद्ध सात्विक शाकाहारी रेस्टोरेंट में भोजन किया और अपने होटल कि ओर चल दिये।  


बेताब वैली 

 

अगले दिन सुबह हम अपनी टेक्सी से पहलगाम के अन्य  पर्यटन स्थलों की सैर पर चल दिये। पहलगाम में ही लिद्दर नदी के किनारे बने सेल्फि पाईंट और आस पास का नजारा देखते ही बनता था। दो पहाड़ों के बीच से बहती नदी ऐसे लग रही थी  मानों कैनवास पर कोई सुंदर चित्रकला उकेरीं हो। प्रकृति के इस अद्भुत रुप को निहार कर मन प्रफुल्लित हो उठा। थोड़ा सा आगे जाने पर पहलगाम के मिनी स्वीटजरलैंड कहे जाने वाले पर्यटन स्थल बेसरन घाटी की ओर जाने वाला मार्ग था। यह बहुत आकर्षक स्थान है। मगर बारिश की वजह से रास्ता फिसलन और किचड़ भरा हो गया था। इस कारण हम वहां नहीं जा पाए। नदी के किनारे टेंट सीटी भी बहुत आकर्षक लग रही थी।   

                                              टेंट सीटी                   
                                                                                  

समय बहुत तेजी से बित रहा था दो दिन न जाने कब बीत गये। अब वापस श्रीनगर
के लिए प्रस्थान  करना था ।  रास्ते मे गणेश पोरा मे रुके थे। यहाँ पर भी बहुत से स्थान है ।  करीब शाम के 8.00 बजे श्रीनगर के डल झील मे पहले से बुक शिकारा  मे पहुचे ।  झील मे तैरती नाव और झिलमिलाती  लाइटे बहुत ही लुभावनी लग रही थी।  चलिए कल एयरपोर्ट पर मुलाकात होगी ।  
                                   

 

जय श्री कृष्ण 
 


" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"


 

 

" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"





   गुलमर्ग  

  "गुलमर्ग: प्राकृतिक सौंदर्य का निवास स्थान" ।    

  कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे गुलमर्ग का प्राकर्तिक सौन्दर्यशांतिपूर्ण वातावरण और खूबसूरत बर्फीली वादियां मंत्रमुग्ध सी कर देती  हैं। तभी तो इसे हिमाचल का ज्वेल कहते हैं।  

   गुलमर्ग की सुनहरी फिज़ाओं और बर्फ़ीली पहाड़ियों की यादें दिलों में उमड़ जाती हैं। जब मैंने गुलमर्ग   का सफर किया तो मेरा मन खुशी से भर गया। प्राकृतिक सौंदर्य और आत्मा की शांति ने मुझे वहां का विश्वासी बना दिया। गुलमर्ग के सुनहरे प्रशंसकों की भीड़ में कहीं न कहीं मेरा अपना स्वर खो गया  था। उन ऊंचाइयों का नजारा, उन समयों की चुप्पी और खुशी के पल आज भी मेरे दिल में बसे हुए हैं। गुलमर्ग का यह सफर मेरे लिए एक अनभिज्ञ अनुभव बन गया। गुलमर्ग का यादगार सफर  शानदार पहाड़ों और सुन्दर किनारों से भरा हुआ था। सर्दी की ठंड से भीगी धरती ने हमें अपनी भव्यता में लपेट लिया। प्रकृति की बेहद खूबसूरती ने हमेंअद्वितीय अनुभवों से परिचय कराया । जब हम वहां पंख फैलाकर उड़ान भर रहे थे, तो लगा कि हम खुद स्वर्ग में हैं। यह यात्रा हमारे जीवन में एक अनमोल चेहरा बन गई।

   


" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"
गोंडोला  राइड ,गुलमर्ग 

     मार्च के महीने से मौसम बदलने लगता है जो कि जून के अंत तक पर्यटन के लिहाज से बहुत उत्तम समय रहता है। आज हमारा   कश्मीर में चौथा दिन था। और अपनी यात्रा सूची में अगला सबसे खूबसूरत  गंतव्य स्थान  गुलमर्ग था। यानि शाब्दिक अर्थ में कहा जाए तो 
 फूलों का मैदान। 
गुलमर्ग को धरती का स्वर्ग भी कहते है।  बारामूला जिले में। 2730  मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौरीमर्ग जिसे 16 वीं शताब्दी में मुगल शासक युसूफ शाह चक ने नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया था।सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर के आवरण में लिपटा हुआ तो गर्मियों में चारों ओर हरियाली से ओतप्रोत प्रकृति का अनुपम तोहफा हैं।। बर्फ के शौकीनों के लिए नवंबर से जनवरी पसंदीदा समय होता है                                       
          श्रीनगर से गुलमर्ग की दूरी तकरीबन 50 किमी है। वहां पहुंचने में करीब एक से डेढ़ घंटे समय लगता है। गुलमर्ग पहुंचने के पूर्व रास्ते में एक बहुत ही सुन्दर जगह तंगमर्ग आती हैं। जिसे गुलमर्ग का प्रवेशद्वा भी कहा जाता है। तंगमर्ग यह एक छोटा सा कस्बा तथा बारामूला  जिले की तहसील है। यहां पर बजट होटल और रेस्तरां तथा एक छोटा सा बाज़ार भी हैं। अधिकतर पर्यटक यही विश्राम के लिए रुक जाते हैं और बर्फ में चलने के लिए जूते , जैकेट अथवा लांग कोट लेते हैं। हमारे तय रुट चार्ट में तंगमर्ग के पास बहुत सारे पर्यटन  स्थल हैं। जिन्हें देखने के लिए एक लोकल टेक्सी करनी पड़ी। इसमें प्रमुख दृंग झरना, दृंग धाटी,  सेवफल के बगीचे और घने लंबे देवदार वृक्षों के बीच सुंदर ऊंची- नीची  हरी घास की शांत घाटी मन को बहुत सकून दे रही थी। साथ ही भुख भी लगने लगी तो तंगमर्ग की ओर चल दिए।
                                                                                                                          

 

" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"
दृंग वाटर फाल 

 गुलमर्ग के लिए आगे घुमावदार 13 किमी का पहाड़ी रास्ता शुरू होता हैं। रास्ते में कई  पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं। । देवदार के घने जंगलों मे सर्पाकार मार्ग और लंबे चोड़े उतार चढ़ाव लिए हरे भरे घास के मैदान मंत्रमुग्ध सा कर देते हैं। मार्ग में आने वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों  मे व्यू पाइंट, बाबा रेशी का मंदिर, इत्यादि 

  महारानी मंदिर -      




" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"

           डोंगरा महाराज हरी सिंह की पत्नी मोहिनी बाई सिसौदिया ने सन 1915 में भगवान शिव-पार्वती  को समर्पित  मोहिनीश्वर शिवालय बनवाया था। बहुत खुबसूरत आकृति और सुंदर दृश्यों से परिपूर्ण इस मंदिर में कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई हैं। फिल्म आप की कसम का  एक प्रमुख गाना बहुत प्रसिद्ध हुआं था
 

 महाराजा पैलेस -
         

   19 वीं सदी की शुरुआत में महाराजा हरिसिंह ने इसे बनवाया था। यह पैलेस अखरोट की  लकड़ी से 8700 वर्ग फीट में बना हुआ है। उमदा नक्काशी और वास्तुकला का अद्भुत संगम है।
           

 सेंट मैरी चर्च -
            

 लकड़ी से निर्मित वास्तुकला का उत्कृष्ट निर्माण है
           

  इन सब जगह घूमते घूमते शाम को हम अपनी होटल की ओर चल दिए।   यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलता है। किंतु मांसाहारी में विकल्प ज्यादा है। थोडे से प्रयास करने पर एक शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट मिल गया और इस हमारा पहला दिन गुलमर्ग में पूर्ण हुआ।
             
गुलमर्ग में दुसरे दिन हमने केवल गोंडोला राइड के लिए ही रखा था। इसमें भीड़ भाड़ होने की वजह से ज्यादा समय लगता है।

  गोंडोला राइड -

         यह विश्व कि सबसे ऊंचाई पर स्थित दुसरी केबल कार परियोजना है। जो मुख्य रूप से दो  भाग में संचालित कि जाती है। 

   1.  फेस I ( कोंगडोरी )
  2. 
फेस II  ( अपरवात )

              इसके टिकट जम्मू कश्मीर केबल कार की अधिकृत साईट पर आनलाइन ही उपलब्ध है। 

 फेस I

              यह 8530 फीट की ऊंचाई पर 2091 मीटर लंबाई वाली राइड  कोंगडोरी की तरफ जाती है। इसमें केबल कार से नीचे के बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। कोंगडोरी में एक छोटी सी  पहाड़ी के पास सेवन स्प्रिंग यानि सात धाराऐं एक साथ  मिलती है जिसे सेवन स्प्रिंग झील  नाम से जाना जाता है। कोंगडोरी में बर्फ रहने पर बहुत सारी बर्फ पर होने वाली गतिविधियां संचालित होती है। जिसका आप भरपुर आनंद ले सकते हैं। जैसे स्किइंग , स्केटिंग ,स्नो बाइक  इत्यादि।   

 फेस II   ( अपरवात ) 

              यह कोंगडोरी से उपर की ओर करीब 12293 फीट ऊंचाई पर 2540 मीटर लंबी राइड अपरवात की ओर जाती है। मुख्यतः जब कोंगडोरी में बर्फ कम होने पर ही यहां आते है। इसकी चोटी की तलहटी में एक सुंदर अल्पाथेर  नाम की झील है। जिसे जमी हुई झील भी कहते हैं।जो कि सर्दियों में जमी हुई रहती है। गर्मीयों में बहुत खुबसूरत लगती है। दोनो राइड  लेके वापस गुलमर्ग आए तब तक 3.00 बज चुके थे। होटल आकर थोडा विश्राम किया। और  फिर चल दिये स्ट्राबेरी वैली की ओर। रात 8.00 बजे हम वापस होटल आ गए। इस तरह हमारा दूसरा दिन गुलमर्ग मे पूर्ण हुआ । 

    हमारे पास अब केवल एक दिन था और अभी भी बहुत सारे पर्यटन स्थल शेष थे। इनमें 

खिलनमर्ग 

पहाड़ों के बीच लंबे चौड़े घास के मैदान और देवदार के वृक्षों से आच्छादित वन ,ट्रेकिंग के लिए बहुत ही सुन्दर जगह है। यह घाटी अपने दोनों ही स्वरुप में मन मोह लेती है। सर्दियों में बर्फ से ढकी तो गर्मियों में सुंदर घास के मैदान।                  

  गुलमर्ग के प्रमुख पर्यटन स्थल 

1.गुलमर्ग बायो स्फीयर रिजर्व 

2.बुटा पथरी , नागिन वन, निंगल नाला

3.कंचनजंगा संग्रहालय 

4.लीनमार्ग

5.बनीबल नाग

6.दुधपथरी ,केरन धाटी

7.ग्लाश इग्नू और इग्नू कैफे    

फरवरी 2023 में  होटल कोलाहाई  ने  एक ग्लास इग्नू बनवाया था। यह इतना बडा है कि इसमें एक बार में करीब 40 लोग खाना खा सकते हैं।                                          

" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"
सेवफल  के बगीचे 

   स तरह हमारा तीन दिवसीय गुलमर्ग भ्रमण पुरा   हुआ। आज हम टेक्सी से पहलगाम की ओर चल दिए।  अब आपके लिए 

गुलमर्ग केवल सड़क मार्ग से ही जुड़ा है। इसके लिए प्राइवेट टेक्सी, शेयरिंग टेक्सी या बस ही विकल्प है। गुलमर्ग पहुंचने के लिए 

सडक मार्ग से 

        श्रीनगर        51  किमी 

         जम्मू          295 किमी

         पहलगाम     140 किमी

   

निकटतम एयरपोर्ट 

        श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (शेखुल आलम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा गुलमर्ग से 60 किमी है।

 आगे पढे.. 

                                                                             "जय श्री कृष्ण "

 

                

      


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