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" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"


 

 

" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"





   गुलमर्ग  

  "गुलमर्ग: प्राकृतिक सौंदर्य का निवास स्थान" ।    

  कश्मीर के प्रमुख पर्यटन स्थलों मे गुलमर्ग का प्राकर्तिक सौन्दर्यशांतिपूर्ण वातावरण और खूबसूरत बर्फीली वादियां मंत्रमुग्ध सी कर देती  हैं। तभी तो इसे हिमाचल का ज्वेल कहते हैं।  

   गुलमर्ग की सुनहरी फिज़ाओं और बर्फ़ीली पहाड़ियों की यादें दिलों में उमड़ जाती हैं। जब मैंने गुलमर्ग   का सफर किया तो मेरा मन खुशी से भर गया। प्राकृतिक सौंदर्य और आत्मा की शांति ने मुझे वहां का विश्वासी बना दिया। गुलमर्ग के सुनहरे प्रशंसकों की भीड़ में कहीं न कहीं मेरा अपना स्वर खो गया  था। उन ऊंचाइयों का नजारा, उन समयों की चुप्पी और खुशी के पल आज भी मेरे दिल में बसे हुए हैं। गुलमर्ग का यह सफर मेरे लिए एक अनभिज्ञ अनुभव बन गया। गुलमर्ग का यादगार सफर  शानदार पहाड़ों और सुन्दर किनारों से भरा हुआ था। सर्दी की ठंड से भीगी धरती ने हमें अपनी भव्यता में लपेट लिया। प्रकृति की बेहद खूबसूरती ने हमेंअद्वितीय अनुभवों से परिचय कराया । जब हम वहां पंख फैलाकर उड़ान भर रहे थे, तो लगा कि हम खुद स्वर्ग में हैं। यह यात्रा हमारे जीवन में एक अनमोल चेहरा बन गई।

   


" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"
गोंडोला  राइड ,गुलमर्ग 

     मार्च के महीने से मौसम बदलने लगता है जो कि जून के अंत तक पर्यटन के लिहाज से बहुत उत्तम समय रहता है। आज हमारा   कश्मीर में चौथा दिन था। और अपनी यात्रा सूची में अगला सबसे खूबसूरत  गंतव्य स्थान  गुलमर्ग था। यानि शाब्दिक अर्थ में कहा जाए तो 
 फूलों का मैदान। 
गुलमर्ग को धरती का स्वर्ग भी कहते है।  बारामूला जिले में। 2730  मीटर की ऊंचाई पर स्थित गौरीमर्ग जिसे 16 वीं शताब्दी में मुगल शासक युसूफ शाह चक ने नाम बदलकर गुलमर्ग कर दिया था।सर्दियों में बर्फ की सफेद चादर के आवरण में लिपटा हुआ तो गर्मियों में चारों ओर हरियाली से ओतप्रोत प्रकृति का अनुपम तोहफा हैं।। बर्फ के शौकीनों के लिए नवंबर से जनवरी पसंदीदा समय होता है                                       
          श्रीनगर से गुलमर्ग की दूरी तकरीबन 50 किमी है। वहां पहुंचने में करीब एक से डेढ़ घंटे समय लगता है। गुलमर्ग पहुंचने के पूर्व रास्ते में एक बहुत ही सुन्दर जगह तंगमर्ग आती हैं। जिसे गुलमर्ग का प्रवेशद्वा भी कहा जाता है। तंगमर्ग यह एक छोटा सा कस्बा तथा बारामूला  जिले की तहसील है। यहां पर बजट होटल और रेस्तरां तथा एक छोटा सा बाज़ार भी हैं। अधिकतर पर्यटक यही विश्राम के लिए रुक जाते हैं और बर्फ में चलने के लिए जूते , जैकेट अथवा लांग कोट लेते हैं। हमारे तय रुट चार्ट में तंगमर्ग के पास बहुत सारे पर्यटन  स्थल हैं। जिन्हें देखने के लिए एक लोकल टेक्सी करनी पड़ी। इसमें प्रमुख दृंग झरना, दृंग धाटी,  सेवफल के बगीचे और घने लंबे देवदार वृक्षों के बीच सुंदर ऊंची- नीची  हरी घास की शांत घाटी मन को बहुत सकून दे रही थी। साथ ही भुख भी लगने लगी तो तंगमर्ग की ओर चल दिए।
                                                                                                                          

 

" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"
दृंग वाटर फाल 

 गुलमर्ग के लिए आगे घुमावदार 13 किमी का पहाड़ी रास्ता शुरू होता हैं। रास्ते में कई  पर्यटन स्थलों को देख सकते हैं। । देवदार के घने जंगलों मे सर्पाकार मार्ग और लंबे चोड़े उतार चढ़ाव लिए हरे भरे घास के मैदान मंत्रमुग्ध सा कर देते हैं। मार्ग में आने वाले प्रमुख पर्यटन स्थलों  मे व्यू पाइंट, बाबा रेशी का मंदिर, इत्यादि 

  महारानी मंदिर -      




" अविस्मरणीय क्षण: गुलमर्ग का यादगार सफर अपनी यात्रा डायरी के पन्नों से"

           डोंगरा महाराज हरी सिंह की पत्नी मोहिनी बाई सिसौदिया ने सन 1915 में भगवान शिव-पार्वती  को समर्पित  मोहिनीश्वर शिवालय बनवाया था। बहुत खुबसूरत आकृति और सुंदर दृश्यों से परिपूर्ण इस मंदिर में कई फिल्मों की शूटिंग भी हुई हैं। फिल्म आप की कसम का  एक प्रमुख गाना बहुत प्रसिद्ध हुआं था
 

 महाराजा पैलेस -
         

   19 वीं सदी की शुरुआत में महाराजा हरिसिंह ने इसे बनवाया था। यह पैलेस अखरोट की  लकड़ी से 8700 वर्ग फीट में बना हुआ है। उमदा नक्काशी और वास्तुकला का अद्भुत संगम है।
           

 सेंट मैरी चर्च -
            

 लकड़ी से निर्मित वास्तुकला का उत्कृष्ट निर्माण है
           

  इन सब जगह घूमते घूमते शाम को हम अपनी होटल की ओर चल दिए।   यहां शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह का भोजन मिलता है। किंतु मांसाहारी में विकल्प ज्यादा है। थोडे से प्रयास करने पर एक शुद्ध शाकाहारी रेस्टोरेंट मिल गया और इस हमारा पहला दिन गुलमर्ग में पूर्ण हुआ।
             
गुलमर्ग में दुसरे दिन हमने केवल गोंडोला राइड के लिए ही रखा था। इसमें भीड़ भाड़ होने की वजह से ज्यादा समय लगता है।

  गोंडोला राइड -

         यह विश्व कि सबसे ऊंचाई पर स्थित दुसरी केबल कार परियोजना है। जो मुख्य रूप से दो  भाग में संचालित कि जाती है। 

   1.  फेस I ( कोंगडोरी )
  2. 
फेस II  ( अपरवात )

              इसके टिकट जम्मू कश्मीर केबल कार की अधिकृत साईट पर आनलाइन ही उपलब्ध है। 

 फेस I

              यह 8530 फीट की ऊंचाई पर 2091 मीटर लंबाई वाली राइड  कोंगडोरी की तरफ जाती है। इसमें केबल कार से नीचे के बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देते हैं। कोंगडोरी में एक छोटी सी  पहाड़ी के पास सेवन स्प्रिंग यानि सात धाराऐं एक साथ  मिलती है जिसे सेवन स्प्रिंग झील  नाम से जाना जाता है। कोंगडोरी में बर्फ रहने पर बहुत सारी बर्फ पर होने वाली गतिविधियां संचालित होती है। जिसका आप भरपुर आनंद ले सकते हैं। जैसे स्किइंग , स्केटिंग ,स्नो बाइक  इत्यादि।   

 फेस II   ( अपरवात ) 

              यह कोंगडोरी से उपर की ओर करीब 12293 फीट ऊंचाई पर 2540 मीटर लंबी राइड अपरवात की ओर जाती है। मुख्यतः जब कोंगडोरी में बर्फ कम होने पर ही यहां आते है। इसकी चोटी की तलहटी में एक सुंदर अल्पाथेर  नाम की झील है। जिसे जमी हुई झील भी कहते हैं।जो कि सर्दियों में जमी हुई रहती है। गर्मीयों में बहुत खुबसूरत लगती है। दोनो राइड  लेके वापस गुलमर्ग आए तब तक 3.00 बज चुके थे। होटल आकर थोडा विश्राम किया। और  फिर चल दिये स्ट्राबेरी वैली की ओर। रात 8.00 बजे हम वापस होटल आ गए। इस तरह हमारा दूसरा दिन गुलमर्ग मे पूर्ण हुआ । 

    हमारे पास अब केवल एक दिन था और अभी भी बहुत सारे पर्यटन स्थल शेष थे। इनमें 

खिलनमर्ग 

पहाड़ों के बीच लंबे चौड़े घास के मैदान और देवदार के वृक्षों से आच्छादित वन ,ट्रेकिंग के लिए बहुत ही सुन्दर जगह है। यह घाटी अपने दोनों ही स्वरुप में मन मोह लेती है। सर्दियों में बर्फ से ढकी तो गर्मियों में सुंदर घास के मैदान।                  

  गुलमर्ग के प्रमुख पर्यटन स्थल 

1.गुलमर्ग बायो स्फीयर रिजर्व 

2.बुटा पथरी , नागिन वन, निंगल नाला

3.कंचनजंगा संग्रहालय 

4.लीनमार्ग

5.बनीबल नाग

6.दुधपथरी ,केरन धाटी

7.ग्लाश इग्नू और इग्नू कैफे    

फरवरी 2023 में  होटल कोलाहाई  ने  एक ग्लास इग्नू बनवाया था। यह इतना बडा है कि इसमें एक बार में करीब 40 लोग खाना खा सकते हैं।                                          

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सेवफल  के बगीचे 

   स तरह हमारा तीन दिवसीय गुलमर्ग भ्रमण पुरा   हुआ। आज हम टेक्सी से पहलगाम की ओर चल दिए।  अब आपके लिए 

गुलमर्ग केवल सड़क मार्ग से ही जुड़ा है। इसके लिए प्राइवेट टेक्सी, शेयरिंग टेक्सी या बस ही विकल्प है। गुलमर्ग पहुंचने के लिए 

सडक मार्ग से 

        श्रीनगर        51  किमी 

         जम्मू          295 किमी

         पहलगाम     140 किमी

   

निकटतम एयरपोर्ट 

        श्रीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (शेखुल आलम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा गुलमर्ग से 60 किमी है।

 आगे पढे.. 

                                                                             "जय श्री कृष्ण "

 

                

      


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