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एक रोमांचक नेपाल की बजट यात्रा पार्ट-2

                              राधे राधे मित्रों

आज हमारी एक रोमांचक नेपाल की बजट यात्रा पार्ट-2 की शुरूआत हो रही है। इस पार्ट मे हम यात्रा करेगें।........

 सेतीबेणी की जहां संसार की सबसे बडी शालीग्राम शिला है। 

 

एक रोमांचक नेपाल की बजट यात्रा पार्ट-2
सेतीबेणी, नेपाल 

मालुंगा नेपाल की पहाडीयों के बीच बसा हुआ है। चारों ओर हरियाली,ऊंचे ऊंचे पहाड और मैदानी इलाके में बस्ती, एक तरफ बहती हुई विशाल काली गण्डकी नदी, ऐसा लग रहा था कि , पोस्टर पर उतारी हुई कोई खुबसुरत पेंटिंग हो। कल आस पास के पर्यटन स्थलों पर घूमने गये थे। प्रकृति को इतने नजदीक से देख कर भाव विभोर हो गये।  शाम को संत जी के निवास पर कुछ धार्मिक परिचर्चा भी हुई। संत जी ने बताया कि यहां से थोडी दूरी पर सेतीबेणी नामक स्थान पर संसार की सबसे बडी शालीग्राम शिला है। कहते है कि इस नदी में ही कुछ इस तरह कि शिलाऐं मिलती है जिन पर स्वतः ही कि आकृति उभर आती है व और भी कुछ पहचान है जो कि कोई जानकार ही बता सकता है। खैर हम सब ने वहां जाने का मन बना लिया था। वैसे भी उस स्थान पर स्थानीय लोग ही ज्यादा जाते है। 

संत श्री शिवांश महाराज 

अगले दिन सुबह भोजन के बाद संत जी के साथ सेतीबेणी जाने का कार्यक्रम बना। हम लोग कार से 85 किमी दुर  हर्मिचौर की तरफ चल दिये। पहाड़ी व अधिकतर चढाई वाला मार्ग होने से करीब दो धंटे का वक्त लगा। हर्मिचौर में एक जल विधुत ईकाई है


हर्मिचौर बोट स्टाप


श्री शिवांस महाराज जी हमारा इतंजार कर रहे थे। वे स्वयंम ही डैम स्थल तक हमे लेने आये। महाराज जी से मिलकर बडी प्रसन्नता हुई। उनका निवास पास ही एक मंदिर में है।  यह मंदिर डैम स्थल से थोडा दुर जंगल के रास्ते पगडंडी वाले मार्ग पर है। शिवांस महाराज इस जगह अकेले ही रहते है। यहां तो दिन में भी दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था। शायद भक्ति का मार्ग ही ऐसा है। सभी सांसारिक मोह बंधन से दुर रहकर एकांत में प्रभु अराधना करना।                                               

मंदिर जाने के लिये डैम के पास से ही रास्ता है। अतः हमने महाराज जी से डैम स्थल घूमाने का अनुरोध किया। इस पर उन्होने स्थानीय अधिकारी से इजाजत लेकर डैम दिखवाया।  डैम के आस पास का नजारा बहुत सुंदर था। 
शिवांस महाराज जी ने मंदिर में हम लोगों के लिये स्वल्पाहार का प्रबंध करवाया था। इस दौरान धार्मिक चर्चा भी हुई।  स्वामी जी ने आशिर्वाद स्वरूप हम सब को एक एक रूद्राक्ष और शालीग्राम जी दिये। जल्द ही यहां से विदा लेकर बोट- स्टाप की ओर चल दिये। सेती बेणी जाने के लिये मोटर बोट से तकरीबन 50 मिनट का समय लगता है। 


सेतीबेणी जल मार्ग, नेपाल 

दोंनो और बहुत ऊंची ऊंची पहाड़ियां बीच में जल मार्ग दुर से देखने पर लगेगा ही नहीं की आगे कोई मार्ग है। मोटर बोट अपनी रफ्तार से दौड़ रही थी। और उसका शोर भी पहाडीयों से प्रतिध्वनित होकर इतना ज्यादा हो रहा था। कि पास बैठे साथी की आवाज भी साफ नहीं सुन पा रहे थे। आखिर 50 मिनट का सफर थोडी असुविधा व रोमांच के साथ पुरा हुआ । बोट से उतरकर सेतीबेणी की ओर चल दिए।
छोटा सा गांव है। हम लोग इसकी मुख्य सडक जिसके दोनों ओर मकानों की श्रृंखला को पार करके शालीग्राम शिला के दर्शन करने गये। वास्तव में यह शिला  एक बडी सी चट्टान है। जिस पर स्यावभाविक रूप से बहुत सारे ओम उभरे है । 


विशाल शालिग्राम शिला,सेतीबेणी नेपाल

दर्शन कर हमें जल्द ही लौटना था। क्योंकि आखरी बोट के जाने का समय हो रहा था। यह पुरा सफर रोमांच से भरपुर था।

हम लोग करीब 9.00 बजे वापस मालुंगा आ पाये। यदि थोडा जल्दी आ जाते तो पोखरा के लिये चल देते। सभी लोग थक भी गये थे। अतः रूकना ही अच्छा रहा। चलिये नेपाल यात्रा पार्ट-3 में पुनः मुलाकात होगी। तब तक के लिये.......

                                                  ।। जय श्री कृष्ण ।।

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