रात करीब 11.30 बजे हम लोग काठमांडू पहुंचे। देर रात पहुंचने से रूकने के लिये सबसे बडी समस्या हो गई थी। यहां भी संत जी का आशिर्वाद रहा। उन्होने ही अपने सम्पर्क सुत्र से एक होटल में हमारी व्यवस्था करवा दी थी। अब हमें उस पते पर पहुंचना था। देर रात अंजान शहर और कड़ाके की ठंड में बिना लोकल व्यक्ति की सहायता के सही जगह पहुंचना आसान नहीं था।एक दो जगह पता पुछने पर उन्होने कहीं ओर जगह ही पहुचां दिया हमें घूमते घूमते करीब एक घंटा हो गया। आखिर एक लोकल टेक्सी वाले को करना पडा। मोल भाव कर 200 IC में राजी किया तब जाकर सही मुकाम पर पहुंचे। हां होटल बहुत अच्छा था। एक ही हाल में हम सब की व्यवस्था कर दी थी।
सुबह तैयार होकर सबसे पहले रिशेप्शन पर काठमांडू के पर्यटन स्थलों की जानकारी ली और रूट मैप बनाया। असुविधा से बचने के लिये यह बहुत जरूरी था।
काठमांडू चारों ओर पहाडीयों से धिरा हुआ है। यह समुद्र तल से 1300 मीटर की ऊंचाई पर करीब 51 वर्ग किमी क्षेत्र में बसा हुआ है। नेपाल देश की राजधानी और सबसे बडा शहर है। यहां हिन्दुओं के आराध्य भगवान शिव का विश्व प्रसिद्ध पशुपति नाथ मंदिर होने से इसका महत्व और बढ जाता है।
काठमांडू शब्द काष्ट मंडप का अपभ्रंश है।नगर के मध्य में गोरखनाथ जी का मंदिर और एक विश्राम स्थल है। जो कि कहा जाता है कि एक ही वृक्ष की लकड़ी से बनाया गया है। मध्यकालीन समय में इसे कांतिपुर नाम से भी जाना जाता था।
इतिहास
भूगोलविदों के अनुसार काठमांडू पहले एक तालाब था। श्री कृष्ण के अनुयायी गोपाल वंशीय लोग यहां पर गाय चराते हुऐ आये और बाद में यही पर बस गये। राजा पृथ्वीनारायण शाह ने 1768 में मल्ल राजाओं से युद्ध में जीत कर गोरखाली नेपाल राज की स्थापना की और काठमांडू को राजधानी बनाया। राणाओं के समय बना सिंह दरबार जग प्रसिद्ध है। वर्तमान में यहीं पर नेपाल के प्रधानमंत्री का मंत्रालय और सर्वोच्च न्यायालय है।
1934 में भूकंप में ध्वस्त काठमांडू को पुनः 1950 में बसाया गया और पर्यटकों के लिये खोल दिया।
प्रमुख पर्यटन स्थल
1.पशुपतिनाथ मंदिर
भगवान शिव को समर्पित हिंन्दु आस्था का प्रमुख तीर्थ स्थल है। बागमती के किनारे स्थित इस मंदिर के पास में ही श्मसान घाट भी है। यहां मुक्ति और भक्ति दोनों पास पास ही है।
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नंदी जी, पशुपति नाथ मंदिर, नेपाल |
2.हनुमान ढोका
हनुमान जी का यह मंदिर देगुताले और तालेत मंदिरों के मध्य खुले मैदान में स्थित है। 1672 में प्रताप मल्ल ने हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित कर पुजा अर्चना करी थी। आज भी अनवरत जारी है।
3.काष्टमंडप
गोरखनाथ जी का मंदिर और विश्राम स्थल एक ही पेड़ की लकड़ी से बनाया गया है।
4. अशोक विनायक मंदिर
अशोक वृक्ष के नीचे भगवान गणेश का यह मंदिर काष्ट मंडप के पीछे स्थित है। यहां पर धार्मिक आयोजनों के साथ राज्याभिषेक के कार्यक्रम भी होते है।
5. दरबार मार्ग
नेपाल में राणा शासन के दौरान हुऐ विस्तार का प्रमुख केन्द्र रहा यह मार्ग अपना विशेष महत्व रखता है। इस पर कई धार्मिक स्थल और पुरातन मंदिर है। तथा राजा महेन्द्र की प्रतिमा भी लगी है।
6. जगन्नाथ मंदिर
हनुमान ढोका के पास में ही विष्णु जी का मंदिर है। इसमें तीन तरफ से प्रवेश कर सकते है। सम्पूर्ण मंदिर में की नक्काशी करी गई है।
7.स्वयंभू नाथ स्तूप
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स्वयंभू नाथ स्तूप, काठमांडू नेपाल |
विश्व में सबसे बडे बौद्ध स्तूपों मे से एक है।
8.आकाश भैरव
भैरव नाथ का यह मंदिर आस्था का केन्द्र है। प्रतिवर्ष यहां इंद्रा जात्रा का आयोजन होता है।
9. राष्ट्रीय संग्रहालय
यहां राजाओं के स्मृति चिन्ह व कलाकृतियों का संग्रह है।
10. धारहारा टावर
उत्कृष्ठ वास्तु कला का यह टावर नौ मंजिला होकर करीब 61.88 मीटर ऊंचा है। इसे भीमसेन टावर के नाम से भी जानते है।
11.बौद्ध स्तूप
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बौद्ध स्तूप, काठमांडू नेपाल |
12. रानी पोखरी
सन 1670 में बनाया गया कृत्रिम तालाब है। इसे रानी का तालाब के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर बाल गोपालेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर है। भूकंप में ध्वस्त इस क्षेत्र का पुनः नव निर्माण किया गया है।
13. कुमारी घर
यह एक जीवित कन्या का देवी रूप में निवास स्थान है।एक प्राचीन प्रथा अनुसार नेवार कन्या का कुछ जटिल प्रक्रिया से चयन किया जाता है। उस कन्या की देवी तालिजू का अवतार मान देवी प्रतिनिधित्व के रूप में पुजा की जाती है। विशेषता है कि कन्या कभी भी जमीन पर पैर नहीं टिकाती है केवल कुछ विशेष त्यौहारों को छोड़ कर।
14.असन बाजार
नेपाल का प्रसिद्ध बाजार है। जहां हर तरह का सामान मिलता है। खासकर इलेक्ट्रानिक सामान के लिये मशहुर है।
15.रत्न पार्क
बच्चो के लिये बनाया गया यह थीम पार्क नेपाल के राजा महेन्द्र सिंह की धर्मपत्नि के नाम पर रखा गया है
16.पाटन दरबार क्षेत्र
काठमांडू से 9 किमी दूर ललितपुर शहर में स्थित है यह क्षेत्र । नेपाल के तीन शाही दरबारों मे से एक है। वर्तमान में युनेस्कों ने इसे विश्व धरोहर के रूप में चयनित किया है। लाल ईंटों के चौकोर फर्श पर नेवार वास्तुकला का अदभुत प्रदर्शन है।
17.शक्तिपीठ श्री गुह्येश्वरी मंदिर
कहा जाता है कि यहां पर सती के दोनों घुटने गिरे थे। इसलिये 51शक्तिपीठों में इस स्थान की मान्यता है।
18.दक्षिण काली मंदिर
काठमांडू से 22 किमी दूर फार्पिंग गांव में स्थित यह मंदिर मां काली को समर्पित है। यह पुरातन मंदिरों में से एक है।
19.तारा गांव संग्रहालय
आर्ट गैलरी के लिये विख्यात है।
20.बुढा नीलकंठ
यहां पर भगवान विष्णु की, लेटे हुऐ मुद्रा मे श्याम शिला की बडी मनोहारी मुर्ति है।
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बुढा नीलकंठ, काठमांडू नेपाल |
इसके अलावा गार्डन आफ ड्रीम ,तलेजु मंदिर ,नारायणहिती पैलेस संग्रहालय, सिद्धार्थ आर्ट गैलरी,मावु देवल और रूद्र वरण महाविहार ,कोपेन मोनेस्ट्री,कृष्ण मंदिर,बसंतपुर टावर, भीमसेन मंदिर,कुम्भेश्वर महादेव,काल भैरव,बसंतपुर डबली और न्यातापोल मंदिर देखने लायक जगह है।
शाम करीब 6.00 बजे एक जगह भोजन के लिये रूके। उस समय हम सब विचार कर रहे थे। यहां रूके या आगे चले। आगे का सफर 225 किमी का है। वहां पहुंचने में अंदाजन 7 से 8 धंटे लगेगें। आखिर ड्राईवर अंबू भाई पर निर्णय छोड़ा गया। कुछ विचार के बाद आगे चलना तय हुआ और शाम 7.00 बजे हम लौग जनकपुर की ओर चल दिये। यहीं पर नेपाल यात्रा पुर्ण कर भारत में प्रवेश करना था।
काठमांडू से जनकपुर का मार्ग भी पहाडी ही था। मगर रोड ठीक होने से बिना किसी कठनाई के सफर जारी रहा। रात 1.20 बजे जनकपुर पहुंचे।
काठमांडू कैसे पहुंचे
हवाई मार्ग से जाने के लिये काठमांडू में एयरपोर्ट है। कई देशों से सीधी उडान मिल जाती है।
सड़क मार्ग से भी जा सकते है। कई ट्रेवल ऐजेंसियां गोरखपुर व दिल्ली से सीधी बस सेवाऐं उपलब्ध करवाती है।
सडक मार्ग से जाने के लिये सोनाली बोर्डर व जनकपुर से सीधे
यहां पर आने का सही मौसम फरवरी से अप्रेल और सितंबर से नवंबर का महिना सबसे अच्छा समय है।
काठमांडू पर्यटन स्थल होने से रहने खाने की सुविधा हर स्तर पर मिल जाती है।
अगले अंक में जनकपुर में मिलेगें ।
जय श्री कृष्ण
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