श्रीनगर के प्रमुख पर्यटन स्थल और इतिहास
इंदिरा गांधी मेमोरियल टूलिप गार्डन,श्रीनगर |
दम आलू
कश्मीरी राजमा
मांसाहारी में कई प्रसिद्ध व्यंजन है।
रोशन जोश
आब गोश्त
नादिर मोंजी
यखिनी लेंब
यहां के लोग मृदु भाषी और व्यवहारिक होने के साथ गीत संगीत के भी शौकीन हैं रऊफ जनजाति का डमहल नृत्य व लोकगीत बहुत प्रसिद्ध है। आज हम श्रीनगर के प्रमुख पर्यटन स्थलों कि सैर पर जायेंगें। वैसे तो यहां का मुख्य आकर्षण डल झील
डल झील में तैरता हुआ बाजार |
बहुत बडे क्षेत्र में फैली इस झील में रंग-बिरंगी साज सज्जा से सुशोभित नावें जिन्हे शिकारा कहते है। मुख्य आकर्षण है । इस शिकारा में चार व्यक्तियों के बैठने की शाही व्यवस्था होती है। आपकी निजता को ध्यान में रखकर पर्दे लगे होते है। नाविक पीछे बैठकर नाव चलाता है। हां आपके शिकारें के पास छोटी छोटी नावों में दुकानदार विभिन्न सामान बेचने आते रहते है।
यहीं इसी झील में तैरता हुआ बाजार भी है। जहां आप हस्त कला ,सुखे मेवे और सादे व ऊनी कपडों की खरीदी कर सकते हैं। मगर याद रहें मोल भाव बहुत करना पड़ेगा। कभी कभी तो कीमतें दो गुना से भी ज्यादा बोली जाती है। बातों बातों में मैं तो भूल ही गया था। आज हमें श्रीनगर घूमने जाना हैं। यहां के प्रमुख पर्यटन स्थलों
1.डल झील
2. इंद्रिरा गांधी मेमोरियल टूलिप गार्डन
3.शंकराचार्य मंदिर
4. खीरभवानी मंदिर
5. नेहरु बोटनिकल गार्डन
6. निशात बाग
7. वेरी नाग गार्डन
8. बादाम वारी
9. शालीमार गार्डन
10. नगीन झील
11. वुलर झील
12. हज़रत बल दरगाह
13. जामा मस्जिद
14. पत्थर मस्जिद
15. छट्टी पद शाही गुरुद्वारा
16. चश्में शाही
17. परी महल
18. अचबल
19. दांचीगाम गाम राष्ट्रीय उद्यान
20. यूसमर्ग
21. चार चिनार
22. SPS म्यूज़ियम
23. ज़बरवन पार्क
24. हरी प्रभात किला
25. दुधपती
श्रीनगर में मार्च से जुलाई तक का समय बहुत भीड़भाड़ वाला रहता है। विशेष कर मार्च और अप्रेल के मध्य टूलिप पुष्पों का सबसे ज्यादा आकर्षण रहता है।
शंकराचार्य मंदिर
आज हम लोग सबसे पहले शंकराचार्य मंदिर जिसे ज्येष्ठेश्वर नाम से भी जाना जाता है देखने जा रहे हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 1850 मीटर की उंचाई पर स्थित है। अभी हमारी गाड़ी मंदिर मार्ग पर कुछ दुर ही गई थी कि CRPF की चेकपोस्ट होने से हमें अपनी जानकारी देनी पड़ी साथ ही गाड़ी की भी चेकिंग हुई। आज भीड़ ज्यादा होने से उपर जाम कि स्थिति बनी हुई थी। अब जितनी गाडियां उपर से आती उसी संख्या में जाने दे रहे थे। किसी तरह हम उपर पहुंचे। हर जगह चेकपोस्ट थी। मंदिर से श्रीनगर का नजारा बहुत सुंदर लग रहा था। ज्येष्ठेश्वर नाम वर्तमान में शंकराचार्य मंदिर में पहुंचने के लिए 248 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है । दिव्य तपस्वी की पवित्र तप स्थली और मंदिर के आस पास के दृश्यों ने मन मोह लिया था। दर्शनों के बाद थोडी देर मंदिर परिसर में रुक कर वापस अपनी गाड़ी की ओर चल दिये।
इंद्रिरा गांधी मेमोरियल टूलिप गार्डन
हमारा अगला पाईंट एशिया का सबसे बड़ा टूलिप गार्डन इंद्रिरा गांधी मेमोरियल टूलिप गार्डन था। जो कि करीब 74 एकड़ में फैले इस गार्डन में कई रंगों के टूलिप पुष्प लगायें जाते हैं। 2007 से इस उधान की शोभा बने यह टूलिप बल्ब पर्यटकों की पहली और विशेष पसंद रहें हैं। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक इनकी सुंदरता निहारने आते हैं। एक माह के इस आयोजन को मार्च और अप्रैल के मध्य मनाया जाता है। इस वर्ष हमें भी इस आयोजन का हिस्सा बनने का अवसर मिला। टूलिप पुष्पों के सौंदर्य को पास से देखने पर उनकी अनुपम सुंदरता और चटक रंगों ने मंत्र-मुग्ध कर दिया था। यह गार्डन बहुत बड़ा होने से काफी समय लग गया।
श्रीनगर से लगभग 26 किमी दूर गांदरबल के तुलमुल गांव में स्थित मां खीर भवानी का मंदिर है। कहते हैं यहां के जलाशय का रंग आने वाली विपत्तियों के बारे में पूर्व सुचना दे देता हैं। मां खीर भवानी जो कि वास्तव में रावण की कुलदेवी राग्या माता है। सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर एक जलाशय के मध्य स्थित है। शिव और शक्ति की युग्म मां राग्या देवी की पुजा भगवान रामचंद्र जी ने भी वनवास के समय की थी।
सन 1912 में तत्कालीन राजा गुलाब सिंह ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। प्रति वर्ष ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी और शुक्ल अष्टमी को मेला लगता है। एक बार मां ने स्वप्न में राजा से मीठा लाने को कहा तब राजा ने खीर का भोग लगाया और तभी से यहां खीर का भोग लगता है। कालान्तर में इनका नाम भी मां खीर भवानी पड़ गया । अमरनाथ यात्री यहां होकर ही आगे प्रस्थान करते हैं
नेहरू बोटनिकल गार्डन
डल झील के पास स्थित यह गार्डन बहुत सुंदर फुलों और अनेक वनस्पतियों तथा आकर्षक सज्जा के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। 1987 में बनकर तैयार यह उधान जवाहरलाल नेहरू की स्मृति में समर्पित किया गया है। यहां पर विभिन्न काश्मीरी लिबास किराये पर मिल जाते हैं। जिससे आप उन्हें पहनकर अपना फोटोग्राफी का शौक पुरा कर सकते हैं। यहां के सभी गार्डनों में टिकीट लगते हैं।
निशात बाग
नूरजहां के बड़े भाई आसिफ खान ने फारसी वास्तुकला और फव्वारों से सज्जित इस बाग को डल झील के करीब बनवाया था।
शालीमार बाग
सन 1619 में बादशाह जहांगीर ने अपनी पत्नी नूरजहां के लिए बनवाया था। श्रीनगर से 12 किमी दूर डल झील के पास स्थित यह बाग मुगल उधानों में से एक है।
हरी पर्वत और हरी प्रभात किला
श्रीनगर शहर में बादाम वारी के करीब हरी पर्वत पर हरी प्रभात किला है। 18 वीं शताब्दी में अफगान गवर्नर मुहम्मद ख़ान द्वारा निर्मित किले की देखभाल जम्मू-कश्मीर पुरातत्व के अधीन होने से इस ऐतिहासिक किले में जाने के पूर्व विभाग से अनुमति लेनी होगी। इस पर्वत पर कई छोटे बड़े आराध्य स्थल है। इनमें मां शारिका देवी का मंदिर प्रमुख है। जहां शक्ति पीठ के तुल्य पुजा अर्चना की जाती है।कहते हैं ये नगर की देवी है। एक गुरुद्वारा छट्टी पादशाही जहां छठे सिख गुरु हरगोबिन्द सिंह पधारे थे। दक्षिणी में सूफ़ी संत हमजा मखदूम की मस्जिद है। हरी पर्वत से शहर का बहुत सुंदर दृश्य दिखाई देता है। 15 अगस्त 2021 को 100 फीट का तिरंगा फहराया गया था। यह तिरंगा दूर से ही दिखाई देता है।
चश्में शाही
सन 1632 में शाहज़हां ने डल झील के निकट एक खुबसूरत झरना और उद्यान बनवाया था।
चश्में शाही |
नगीन झील
श्रीनगर से लगभग 8 किमी दूर नीले पानी की झील है। जबरवांन पहाड़ी की तलहटी में चिनार के पेड़ों से घिरीं यह झील एकदम शांत और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती है।
हज़रत बल दरगाह
पैगंबर के निशान होने से यहां का महत्व बढ़ जाता है। सफेद संगमरमर से निर्मित बहुत सुंदर है।
परी महल
16वीं शताब्दी में शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह ने रहने और पुस्तकालय के रुप में बनवाया था। आगे चलकर एक वेधशाला के रूप में इस्तेमाल किया गया, जो ज्योतिष और खगोल विज्ञान के लिए उपयोगी थी।
वूलर झील
शहर से 60 किमी दूर 200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली मीठे पानी की झील सभी तरफ पहाड़ियां से धिरी हैं। यहां बहुत से पक्षियों का रैन बसेरा है। सूर्यास्त का दृश्य देखने दूर दूर से आते है।
पत्थर मस्ज़िद
सन 1623 में नूरजहां ने झेलम नदी के किनारे पत्थरों से एक मस्जिद बनवाई थी।
यूसमर्ग
श्रीनगर शहर से 48 किमी दूर बड़गाम के पश्चिम मे , दूध गंगा नदी के तट पर समुद्र तल से 2396 मीटर की ऊंचाई पर एक बहुत सुंदर हिल स्टेशन है। हरे भरे घास के मैदान को चीड़,सनोबर के वृक्ष और खुबसूरत बना देते है। बर्फीली चोटियां पुरे परिदृश्य को फोटोजेनिक बना देता है। निकट ही नील नाग व दुधगंगा कृत्रिम बांध होने से जंगली पशु पक्षियों की चहल पहल रहती है। यहां पर घुड़सवारी तथा सर्दियों मे स्कीइंग के खेलों का आयोजन होता है।
दांचीगाम राष्ट्रीय उद्यान
श्रीनगर शहर से 22 किमी दांचीगाम राष्ट्रीय उद्यान समुद्र तल से 4300 मीटर की उंचाई पर स्थित है। यह 141 वर्ग किमी में फैले इस उधान में कश्मीरी हिरण और हंगुल का घर है। यहां पर कस्तुरी मृग, तेंदुआ, पहाड़ी लोमड़ी, हिमालयन भालू व जंगली बिल्ली भी है।
चार चिनार
चारों कोनों पर चिनार के वृक्षों से धिरे डल झील के मध्य इस स्थान को औरंगजेब के भाई मुराद बख़्श ने बनवाया था।
लाल चौक और घंटाघर
श्रीनगर का लाल चौक आज़ादी के वक्त से ही सुर्खियों में रहा है। यहां समय समय पर राजनीतिक गतिविधियों ने बड़ी हलचल पैदा करी है। एक समय तिरंगा फहराना बड़ी चुनौती थी। जबकि आज यहां पर विकास हो रहा है। और तिरंगा भी फहराया जाता है। अब तो मेन रोड़ की स्ट्रीट लाइट पर भी इसी रंग की खूबसूरत लाईटिंग करवाई गई है। पुराने घंटाघर को पुनः नवीन रूप में बनवाया गया है। 22 से 24 अप्रैल 2023 को G-20 की समिट का आयोजन हुआ है। आज के श्रीनगर का स्वरुप ही बदल गया है। घंटाघर के पास ही बहुत बड़ा बाजार क्षेत्र भी है।
बादाम वारी
यह पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण है। खुबसूरत बगीचे और विभिन्न पौधों को आकर्षक रुप देकर तैयार किया है। इसका नाम बादाम के वृक्षों के कारण पड़ा है। यहां बहुत संख्या में बादाम के वृक्ष हैं। जब इन पर फुल खिलते है तो यहां कि सुंदरता कई गुना बढ़ जाती है।
इन सब जगहों पर घुम कर बहुत आनंद आया। यह यात्रा हमारे लिए यादगार रही। मौसम भी खुशनुमा था। रही बात सुरक्षा की तो हर समय सेना और स्थानीय पुलिस बल सदैव चौकन्ना रहते है। इनकी वजह से इस बार सबसे ज्यादा पर्यटक काश्मीर घुमने आये। धन्यवाद सभी सुरक्षाबलों को जिनकी वजह से जीवन सामान्य हो रहा है। स्थानीय निवासी भी व्यवहार कुशल है।