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ओंकारेश्वर यात्रा -2


ओंकारेश्वर यात्रा  भाग -2 

मंदिर के पास ही छोटा सा बाजार है। जहां पर पुजन सामग्री देवी देवताओं की मुर्ति , शंख , धंटी तथा मालाओं की दुकानें सजी हुई थी। कही कहीं पर चाय नाश्ते की दुकानें भी थी। हम एक बार पुरे बाजार में घुम आये।  एक दुकान पर कुछ शंख देखे। कई तरह के शंख देखने व बजाने के बाद एक खरीद लिया।
बाजार के पास से ही नाव धाट पर जाने का रास्ता है सो हम नाव धाट पर चल दिये।  रास्ते में एक दृश्य देखकर लगा कि मां नर्मदा के सम्मान में दोनों तरफ पहाड अभिवादन के लिये खडे हो। ओंकारेश्वर में ज्योतिर्लिगं और शिवालय दोनो नर्मदा नदी के अलग अलग तट पर है। 

औंकारेश्वर यात्रा -2
नया पुल 

ज्योतिर्लिंग जाने के लिये पैदल यात्रियों दो पुलों से जा सकते है। एक नव निर्मित है व दुसरा पुराना पुल 

औंकारेश्वर यात्रा -2
पुराना पुल 

यह पुल बहुत पुराना बना हुआ है। पहले इस पर से ही मंदिर आना जाना होता था। किन्तु अब नया पुल बन जाने से अधिकतर इसे ही काम में लेते है। 


औंकारेश्वर यात्रा -2
ममलेश्वर शिवालय 

अब तक भोजन का समय भी हो गया था और कुछ देर विश्राम करने के लिये  जगह देख रहे थे ।बाजार मे बहुत सारे भोजनालय है  यहां का प्रसिद्ध भोजन है                                                                                
दल बाटी 
 

   भोजन के बाद विश्राम के लिये गेस्ट हाऊस गये ।  शाम पांच बजे पैदल ही घूमने निकले बाजार मे अधिकतर पुजन सामग्री की दुकानें  मिली ।
घूम फिर कर घाट पर आ गये, यहां पर बैठना बडा सकून भरा लग रहा था मंदिर के धंटो की ध्वनि और नदी की कलकल मे जैसा सारे शोर विलुप्त हो गये थे । 
शाम को मां नर्मदा की आरती देखने का शौभाग्य मिला।  

पैदल ऊंकार पर्वत की परिक्रमा    

सुबह जल्दी परिक्रमा के लिये चल दिये। साथ में थोडा खाने का सामान और एक जोडी कपडे ले लिये थे। नर्मदा कावेरी संगम पर पहुंच कर नर्मदा में नर्मदे हर की जय धोष के साथ डुबकी लगाई। नहाने के बाद एकदम तरोताजा हो गये। परिक्रमा पथ पर वन्य  पशु पक्षी मिलते हैं।जिन्हे दाना डालने पर बडी संख्या में चूगते देख बडा अच्छा लगता है। बंदरो को चने बहुत प्रिय होते है। चने देख बडी संख्या में आ जाते है। परिक्रमा पथ 7 किमी लंबा है।इस पथ पर बहुत 


                 औंकार पर्वत 

 सारे मंदिर ,स्तंभ व मुर्तियों के दर्शन होते है। अधिकांश मार्ग जंगल से गुजरता है। चारों ओर हरियाली

 और भक्तो की  जय धोष के साथ  बंमबंम महादेव ,हर हर महादेव की लयबद्ध संगीत लहरी  में हम परिक्रमा कब पुरी हो गई पता ही नहीं चला। 

ओंकारेश्वर कहां और कैसे जाये 

यह सडक मार्ग से चारों तरफ से जुडा है।    

  1. ओंकारेश्वर रोड ( मोट्टका)     12 किमी
  2.  सनावद                              13 किमी
  3. खंडवा                                70 किमी
  4. इन्दौर                                 78 किमी
  5. धामनोद                              79 किमी
  6. उज्जैन                              138 किमी                                                                                           नजदीकी एयरपोर्ट इन्दौर है।                        रेलमार्ग से खंडवा और अजमेर- खंडवा लाईन पर (मोट्टका  ) ओंकारेश्वर रोड स्टेशन मात्र 12 किमी की दूरी पर है।                 

                

                                                                  हम अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर यात्रा  मे मिलेंगे                              

                                                                                   धन्यवाद 

                               

                                                                                      शुभ रात्री       










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