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महेश्वर यात्रा

9 मार्च 2020,  

                   महेश्वर यात्रा 

                   
महेश्वर यात्रा
महेश्वर घाट 
   

दोपहर करीब 1.00बजे महेश्वर  पहुंचे,  ओंकारेश्वर से यहां की दूरी 66 किमी और एनएच 3 से 22         किमी है ,यह खरगोन जिले मे नर्मदा नदी के उतर तट  बसा है इसे होलकर राजवंश ने राजधानी के     रूप मे  विकसित किया, महारानी अहिल्या देवी यही दरबार लगाती थी। आज भी उनके जमाने का   किला, राजगद्दी, पालकी, और कई अन्य सामग्री संजो के रखी गई है।  बगीचे में अहिल्याबाई होलकर की मुर्तिकार इतनी सजीव लगती है ।मानो अभी बोलने  लगेगी ।                                                                 

महेश्वर यात्रा
अहिल्याबाई होलकर

किले से ही नर्मदा नदी पर जाने के लिये भव्य घाट बना है। घाट से नर्मदा का पवित्र दर्शन कर कृतार्थ हो गये। भव्य मगर शांत जल धारा अपने ही वेग में बह रही है।                                                                                                


महेश्वर यात्रा
नर्मदा नदी का विहंगम मनमोहक दृश्य 

हम सीधे घाट पर ही गये, गाडी ले जाने का मार्ग है। अब नदी पर जाये तो स्नान का अपना ही अलग मजा है। पास ही मछलियों को खिलाने के लिये आटे की गोलीयां मिल रही थी हमने भी एक पैकेट खरीद लिया। ज्योंहि दाना पानी में डाला एक बडा सा झुंड इकठ्ठा होने लगा। अब हम जिधर दाना डालते  झुंड उधर ही दौड़ लगाता। मछलियों का उछल कुद देखकर बडा आनंद आ रहा था।




महेश्वर यात्रा
महेश्वर घाट 

घाट पर घंटो बैठे रहो मन नहि भरता, यहां से नाव द्वारा सहस्त्र धारा और नदी के बीच स्थित शिव मंदिर के लिये जाते है । महेश्वर के किले मे आज भी राजवंश के समय का सामान संजो के रखा है । चलिये किले मे चलते है


विठ्ठो जी की छत्री

महेश्वर यात्रा
विठ्ठो जी की छत्री

किले मे मंदिर और गलियारे है जो देखने योग्य है कुछ झरोखे बहुत खुबसुरत जहां बैठकर एक अलग ही अनुभुति होती है ।आप शब्दो से ज्यादा आनंद, तस्वीरो से लगा सकते है रजवाड़ों की शानोशौकत, हमने उन जगहों पर फोटो ली और अनुभव किया उस समय के कालखंड को।


महेश्वर यात्रा
महेश्वर किला

किले में खुबसूरत नक्काशी और पत्थर से बनी जालियों का उपयोग बहुत हुआ है। जगह जगह आकर्षक झरोखें बरबस मन मोह लेते है



महेश्वर यात्रा
महेश्वर किले के झरोखे 

यूं तो बहुत सारे फोटो है मगर कुछ यहां शेयर किये है किला बहुत ही खुबसुरत बना है।


महेश्वर यात्रा
किले से घाट पर जाने का गेट
 

ख़ासकर  शाम को नर्मदा नदी के तट पर जब सूरज देव प्रस्थान कर जाते है तब सब ओर शांति और नदी का संगीत मंत्रमुग्ध कर देता है दूर दिये टिमटिमा रहे है कही कोई भजन गा रहा है चलिये किले के अंदर की खास बाते शेयर कर ले, यहां पर जगत प्रसिद्ध महेश्वर की कलात्मक साडी जोकि हैंडलूम पर बनाई जाती है बेहद सुन्दर लगती है आप उन्हे अपने सामने बनते हुऐ भी देख सकते है और यदि पसंद आये तो सेल काउंटर पर खरीद भी सकते है ।किले के प्रवेश द्वार पर एक बहुत लंबी और वजनी तोप रखी हुई है ।


महेश्वर यात्रा
भारीभरकम तोप


सामने ही अहिल्याबाई  का दरबार हाल है  जहां पर वे राज संबधी कार्य और चर्चा करती थी वही पर एक छोटा सा तत्कालीन वस्तुओ और तस्वीरो का संकलन है जो कि इतिहास बताता है हां पास ही मे राज परिवार के अराध्य का मंदिर है जहां आज भी ठोस स्वर्ण और चांदी की प्रतिमाऐं है । किले से बाहर आकर चाय नाश्ता करके कुछ प्रमुख मंदिर है जहां जा रहे है वैसे भी समय अधिक हो रहा है । हां समय रहे तो ये मंदिर अवश्य देखे


  1. श्री राज राजेश्वरी मंदिर
  2. श्रीअहिल्या बाई मंदिर
  3. पंढरीनाथ मंदिर
  4. गणेश मंदिर
  5. रणजीत हनुमान
  6. जलेश्वर मंदिर और जगन्नाथ धाम

समय भी काफ़ी हो गया था और डिनर के लिये रेस्टोरेंट तलाश रहे थे फिर सोचा कि क्यो न पास ही धामनोद है और वहां सभी सुविधाएं उपलब्ध है मात्र 35 मिनट मे हम लोग धामनोद पहुंच गये वहां भोजन कर के देर रात  घर पहुंचे......   

हमारा अगला पडाव बहुत ही खुबसुरत जगह है नर्मदा नदी के मध्य एक टापू पर होगा। बहुत सारे साधू संतो की तपोभूमि रही है।

                                                                           
                                                                                        जय श्री कृष्ण 

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