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नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र

10 मार्च 2020                                                                                                                                             

नर्मदा नदी के मध्य एक टापू  बिल्लवामृतेश्वर महादेव  , धरमपुरी                                                                                            


नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र
बेंट संस्थान ,धरमपुरी,मप्र
  

आप सभी को नमस्कार, साथियों आज हम बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान पर जाने के लिये घर से रवाना हुए है यह स्थान अति प्राचीन होने के साथ ही कई महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक घटनाओं को संजोए है। हम  घर से जल्द ही रवाना हो गये थे स्थान तो ज्यादा दूर नही था मात्र 45 मिनट का रस्ता था और  नर्मदा नदी मे स्नान का लाभ भी लेना चाहते थे ,घर से निकले किन्तु पुल पर जाम लगा था सो रूकना पडा ,एक ट्राला बीच पुल पर खराब हो गया था न जाने कब रास्ता खुलेगा । कुछ देर इंतजार के बाद दुसरे रास्ते से रवाना।
  8.45 बजे हम लोग धरमपुरी पहुंच गये थे।यह स्थान धार जिले के अन्तर्गत आता है। बाम्बे आगरा रोड पर खलघाट से करीब 11 किमी अन्दर की ओर मनावर रोड पर स्थित है।

जिस स्थान पर हम जा रहे है वह नर्मदा नदी की धारा के मध्य टापू रूप मे उभरा हुआ है,करीब 3किमी लंबा और 650मीटर चौड़ा भू भाग है इस स्थान पर आने के लिये जब पानी कम हो तो पुल व ज्यादा हो तो नाव से आना होता है ।धरमपुरी ग्राम किनारे पर स्नान की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है किन्तु थोडा आगे जाने पर नहाने के लिये ठीक जगह थी, कभी कभी नदी स्नान करने का मजा बडा रोमांचकारी होता है।

  किनारे पर ही ग्यारह लिंगी महादेव का मंदिर है कहते है यह स्वयंम प्रकट हुई थी।पुजा अरचना करने के बाद नाव से ही बेंट संस्थान जाना पडा, पानी ज्यादा था ।यह टापू नर्मदा नदी की दो धाराओं के मध्य मे है।बारिश मे यह स्थान बडा मनोहारी लगता है मगर तेज धाराओ के मध्य से जाना भी जोखिम भरा है।नाव मे हमारे एक साथ यही के रहवासी मित्र ने धरमपुरी ग्राम के बारे मे बडी ही रोचक जानकारियां दी । कहानी कथाएं तो बहुत सी है किन्तु प्रमुख व ऐतिहासिक जानकारी, यहां आप से शेयर कर रहे है।

नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र


 इस स्थान से दो बडी ऐतिहासिक व पौराणिक कथा जुडी है एक है रानी रूपमती की व दुसरी महर्षि दधीचि की । 

 यहां के राजा थान सिंह की सुपुत्री रूपमति बहुत ही खुबसुरत थी उसके रूप की चर्चा जब मांडव के सुलतान बाजबहादुर के कानो तक पहुंची तो उसने विवाह प्रस्ताव भेजा किन्तु रूपवती ने विवाह से पहले शर्त रखी कि वह रोज नर्मदा नदी के दर्शन से पुर्व कुछ भी ग्रहण नहीं करती है अतः ऐसी व्यवस्था हो की रोज दर्शन हो सके ।बाजबहादूर ने रानी के लिये मांडू मे महल बनवाया जहां से रोज दर्शन करती थी ।बेंट मे एक दीप स्तम्भ भी बनवाया जहां पर पुजा अर्चना के बाद दीपक लगा दिया जाता था शाम को रानी दीप दर्शन करती थी 


नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र
 बिल्लवामृतेश्वर महादेव , धरमपुरी,मप्र

दुसरी कहानी है महर्षि दधीचि की, पौराणिक कथानुसार जब देव और दानवों मे संघर्ष हुआ तो दानवों का पलडा भारी पड़ने लगा, तब देवो को ऐसे हथियार की आवश्यकता पड़ी जिससे असुरों का संहार किया जा सके ,उस समय महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियां से बने शस्त्रों से देवो की विजय मिली । कहते है आज भी वहां पर महर्षि दधीचि की तपस्थली के प्रमाण मिलते है हम इतनी बारिकी मे नहीं  गये । 

नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र
 बिल्लवामृतेश्वर महादेव  नागदेव , धरमपुरी,मप्र


 नाव से उतर कर कुछ सीढियां चढनी पड़ी तब प्रवेश द्वार दिखाई दिया ,द्वार के अंदर की ओर  चारो ओर धने पेड़ है हर तरफ हरियाली ही हरियाली और शांति, बीच मे से रास्ता बिल्लवामृतेश्वर महादेव के मंदिर को जाता है हर शिवरात्री को भीड लगी रहती है

बेंट वाले स्थान को रेवा गर्भ यानि नर्मदा का गर्भ भी कहते है ।

नर्मदा नदी के मध्य एक टापू बिल्लवामृतेश्वर, धरमपुरी,मप्र
 बिल्लवामृतेश्वर महादेव मंदिर , धरमपुरी,मप्र


यहां पार्टी के लिये बहुत ही अच्छा स्थान है साथियों अब शाम होने वाली है सूरज देव भी अस्ताचल की ओर है हमे भी चलना चाहिये वैसे भी शाम के वक्त थोडा ध्यान से ही चलना यहां बहुत अधिक सांप है मगर आश्चर्य अभी तक एक भी सर्प दंश की घटना नही हुई

साथियों हमारी अगली यात्रा गुजरात से है चलो चले मां अंबे के धाम चलो चले मां अंबे के धाम जो कि एक शक्तिपीठ भी है। और मां का भव्य मंदिर भी है।
                                                                   

                                                                             जय श्री कृष्ण 

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