चलो चले मां अंबे के धाम अम्बा जी
गरबे हो रहे थे, देखते देखते ख्याल आया कि क्यो न माता के धाम अंबा जी चला जाय।घर पर चर्चा की, सब की सहमति से कार्यक्रम बनाया और तैयारी मे जुट गये ।अगले दिन सबसे पहले गाडी को सर्विस के लिये दिया। सफर के लिये यह बहुत जरूरी था।
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मां अंबा जी , गुजरात |
शाम तक गाडी भी सर्विसिंग से आ गई थी। अब एक बहुत ही आवश्यक कार्य और करना था। सो वह भी गूगल आंटी की सहायता से पुरा कर लिया। रूट प्लान बनाया। सारी तैयारी हो गई। सुबह जल्दी निकलना था, कही कुछ छुट न जाय इसलिये रात मे ही सब सामान गाडी मे रख लिया। यात्रा के लिये कुछ आवश्यक चीजे जैसे गाडी के सभी पेपर, ड्राईविंग लाइसेंस, सभी सदस्यो के आधार कार्ड, जरूरी मोबाइल नंबर, दवाईयां हल्का नाश्ता पानी की बोटल व यात्रा मार्ग का रूट प्लान।
सुबह जल्दी घर से निकल गये, सबसे पहले महाकाल उज्जैन के दर्शन किये,भीड ज्यादा थी इसलिये बाहर के दर्शन फटाफट हो गये
हमारा अगला पडाव विश्व मंगल हनुमान जी तारखेडी था।करीब 128 किमी तय करने मे साढे तीन धंटे लग गये।
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विश्व मंगल हनुमान जी,तारखेडी |
यह मंदिर झाबुआ जिले की पेटलावद तहसील के अन्तर्गत ग्राम तारखेडी मे स्थित है।दर्शन कर पुजारी जी से मंदिर के बारे मे जानकारी ली। उन्होने बताया कि यहां के महंत जी को स्वप्न मे हनुमान जी ने दर्शन दिये और एक मुर्ति के बारे मे बताया ,स्वप्नानुसार बताई जगह पर जब खुदाई करी तो हनुमान जी की प्रतिमा निकली, यह वही प्रतिमा है और इसे यहां पर स्थापित कर प्रति दिन हवन, पुजन और रामायण पाठ करने लगे प्रति मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ होता है और तब से यह क्रम अनवरत जारी है। मंदिर की ख्याति दूर दूर तक है। प्रसाद ग्रहण कर पास ही मे जलपान गृह है वहां भोजन किया ।कुछ देर विश्राम कर सफर पुनः शुरू किया। अभी हमे 90 किमी का सफर करना था, रास्ते तो ठीक ठाक ही है मगर कही कही बेहद खराब भी, शाम पांच बजे मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर जो कि बांसवाडा से 15किमी और ग्राम तलवाडा से 5किमी दूर है
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मां त्रिपुरा सुंदरी मंदिर, बांसवाड़ा |
आज सफर ज्यादा हो गया था कुछ थकान महसूस हो रही थी। वैसे भी शाम होने से आज रात यही विश्राम के लिये मंदिर से लगी धर्मशाला मे रूके । गाडी पार्क करके अपना रूम सुरक्षित करवा लिया। कुछ देर विश्राम करके मंदिर दर्शन को गये वाकई मे मां की बहुत ही दिव्य मुर्ति है ,बाहर प्रवेश द्वार के पास बगीचा बना हुआ है।
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त्रिपुरा सुंदरी माता मंदिर, बांसवाड़ा |
मंदिर के धंटे की ध्वनि और दर्शनार्थियों की चहल पहल माहौल को मंत्रमुग्ध कर रही थी।बाहर चबूतरे पर बैठकर हम इसका आनंद लेने लगे और आपस मे चर्चा कर रहे थे कि मंदिर कितना पुराना है पास बैठे सज्जन जो कि यहां के स्थानीय लग रहे थे। कहने लगे यह बहुत पुराना मंदिर है। हमारी उत्सुकता बढती देख उन्होने मंदिर के संबंध मे बहुत गहन जानकारी दी ।
कहा जाता है कि प्राचीन काल मे यहां तीन पुरीयां शिवपुरी, शक्तिपुरी और विष्णुपुरी थी इनके मध्य मे मां ललिता स्वरूपीं स्थित होने से त्रिपुरा सुंदरी कहलाई।मंदिर का स्वरूप तीन सदी पूर्व का है मां का तेज ही है कि गुजरात, मालवा और मेवाड के राजा माता जी के आगे नत मस्तक होते थे। अराधना करते थे। राजा सिद्धराज जयसिहं की तो इष्ट देवी थी। समय चक्र के चलते कई उतार चढाव आये।तीन सदी पुर्व पांचाल समाज के चांदा भाई ने प्रमुख रूप से मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया और तब से ही मंदिर की देखभाल का जिम्मा पांचाल समाज के पास है।
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मां त्रिपुरा सुंदरी |
मां की श्यामवर्णी मुर्ति के अठारह भुजाएं दिव्य अस्त्र शस्त्र से सुशोभित है, चारो ओर दुर्गा के नौ रूप है चरण स्थल मे दिव्य श्री यंत्र स्थापित है मंदिर के पृष्ठ भाग मे त्रिवेद दक्षिण में काली और उत्तर में अष्टभुजा सरस्वती मंदिर है। मां दिन मे तीन रूप धारण करती है प्रात: कुमारी का दोपहर मे यौवना और सांयकालीन प्रौढा का रूप धारण करती है तीनो रूपो की सवारी भी अलग अलग है सिंह, मयुर और कमलासन।मां शक्ति की देवी होने से यहां पर तांत्रिको , मांत्रिकों और देवी आराधकों का तांता लगा रहता है। सुबह जल्द ही तैयार होकर यहां से 5 किमी दूर ग्राम तलवाडा मे भी कुछ प्राचीन मंदिरो के अवशेष मिलते है। जिनमे गणेश जी और द्वारकाधीश का मंदिर के दर्शन किये। यहां से अब हमे 235 किमी खेड़ ब्रह्मा मंदिर जाना है, रास्ता पहाड़ी और व्यस्त है करीब पांच धंटे का सफर होगा। 4 बजे हम लोग खेड़ ब्रह्मा मे छोटी माता मंदिर पहुंचे, रास्ता पहाड़ी जरूर था मगर हरियाली होने से बडा सुंदर लग रहा था।
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छोटी माता मंदिर, खेड़ा गुजरात |
पौराणिक कथानुसार जब ब्रह्मा जी हवन कर रहे थे तो महिषासुर नामक राक्षस ने हवन मे विध्न उत्पन्न करना शुरू कर दिया, हवन कुंड को नुकसान पहुंचाने लगा और भयंकर उत्पात मचाने लगा तब ब्रह्मा जी ने मां का स्मरण किया और इससे विपदा से निजात दिलाने की प्रार्थना की, मां अंबे ने महिषासुर का वध किया और सारे उपद्रव शांत किये। तब ब्रह्मा जी ने मां से प्रार्थना की कि आप यही पर विराजित हो जाइये, इस तरह इस मंदिर को छोटी माता के नाम से जाना जाता है ।यहां के दर्शन करने पर ही मां की कृपा और यात्रा पूर्ण मानी जाती है । यहां की एक विशेषता और है ब्रह्मा जी के केवल दो ही मंदिर है एक पुष्कर व दुसरा यही खेड़ ब्रह्मा मे।
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छोटी माता खेड़ ब्रह्मा |
हमारी यात्रा का अंतिम पडाव मां अंबे जी का धाम अंबा जी मात्र 50किमी शेष रह गया था।अंबा जी गुजरात राजस्थान की सीमा पर स्थित है
हम लोग रात 8 बजे अंबा जी पहुंचे ।मंदिर के समीप बहुत गहमागहमी लगी थी, दूर दूर से दर्शनार्थी आ रहे थे। मंदिर रंगबिरंगी लाईटों से सजा हुआ था।किस्मत से हमे मंदिर के पास ही एक होटल मिल गई ।लंबे सफर
से सब थक गये थे। थोडा विश्राम का सोचा था मगर फिर सुबह ही दर्शन करेगे ।
सुबह 5 बजे उठे और जल्द ही सब तैयार हो गये ।मंदिर मे जाकर देखा लाईन बहुत बडी है हम भी लाईन मे लग गये, धीरे धीरे लाईन बढ रही थी, हमारे साथ खडे मोटा भाई जो कि गुजराती थे ,से बातचित होने लगी ।बातो ही बातो मे हमने उनसे मंदिर के बारे मे जानकारी ली।
उन्होने बताया कि ये स्थान 51शक्तिपीठो मे से और उसमे भी 12प्रमुख शक्तिपीठ मे से एक है यहां माता का ह्रदय गिरा था। मंदिर मे माता की मुर्ति नहीं है उसके स्थान पर श्री यंत्र को इस तरह से रखा है कि उसमे मां के दर्शन होते है ।शिखर 103 फीट का 358 स्वर्ण कलशों से सुसज्जित है ।मंदिर परिसर बहुत बडा है ।यहां का रख रखाव के लिये एक कमेटी कार्य करती है इस मंदिर का निर्माण वल्लभी शासक सूर्यवंश सम्राट अरूणसेन ने चौथी शताब्दी मे करवाया था
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मां अंबा जी का प्रवेशद्वार |
12 शक्तिपीठ :- मां कामाक्षी कांचीपुरम, मां भगवती काली। उज्जैन, श्रीकुमारिका। कन्याकुमारी, महालक्ष्मी मंदिर कोल्हापुर व देवी ललिता प्रयाग,विध्यवासीनी। विंध्याचल व विशालाक्षी वाराणसी, मंगलावती गया, मां सुंदरी बंगाल तथा गुह्येश्वरी देवी। नेपाल
यहां से 2 पश्चिम मे पर्वत पर मां का एक छोटा मंदिर है करीब 999 सीढियां चढकर माता श्री अरासुरी के मंदिर मे पहुंचा जा सकता है, अभी तो रोपवे भी पर्वत पर जाने का एक सुगम साधन है गब्बर पर मंदिर मे बीज मंत्र के सामने अखण्ड ज्योत जलती है
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माता की अखंड ज्योत,गब्बर,अंबा जी |
यहां पर सनसेंट पाईंट, गुफाएं व माता के झुले देखने लायक है
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गब्बर,अंबा जी |
आज हमारी यात्रा मां के दर्शनों के साथ पुरी हुई । साथियों कल हम घर जाने के लिये दुसरा मार्ग लेगे। इस मार्ग पर एक ऐसी रानी का स्थान जिसने अपने पति के नाम से बावड़ी बनवाई वो भी सात मंजिली और हर मंजिल पर हजारो मुर्तियां है। क्या आप भी चलेगें हमारे साथ गुजरात के प्रमुख दर्शनीय स्थलों की सैर तो चलिए।
कल फिर नया सफर नई कहानियों के साथ